नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों को इलेक्शन कैंपेन और सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने को लेकर अपने विचार और सुझाव भेजने को कहा है। इसके लिए आयोग ने डेटलाइन तय की है। आयोग का कहना है कि सभी पार्टियां अपने सुझाव 31 जुलाई तक भेज दें। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है और नयी विधानसभा का गठन उससे पहले किया जाना है।
इससे पहले बिहार की कई विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मतदाताओं को इस बारे में आश्वस्त करने को कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव कोविड-19 महामारी के बीच बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलाने वाला आयोजन नहीं बनेगा। विपक्षी दलों के नेताओं ने उचित दूरी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक मतदात केंद्र पर मतदाताओं की संख्या भी 250 तक सीमित करने को कहा।
विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन देकर राज्य में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट किया और बाद में शुक्रवार शाम आयोग के शीर्ष अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। बैठक के ठीक बाद चुनाव आयोग ने महामारी के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के प्रचार अभियान को लेकर दिशा-निर्देश तय करने के लिए सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से राय मांगी है।
क्षेत्रीय पार्टियों ने जताई हैरानी
राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) ने हैरानगी जताते हुए कहा है कि करीब 13 करोड़ की आबादी और 7.5 करोड़ मतदाताओं वाले राज्य में चुनाव आयोग लोगों के बीच कम से कम दो गज की दूरी कैसे सुनिश्चित करेगा।
चुनाव आयोग ने मौजूदा स्थिति का दिया हवाला
सभी राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय दलों को एक पत्र में चुनाव आयोग ने देश में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति का हवाला दिया और इसे रोकने के लिए सुरक्षा उपायों के तौर पर आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत कई निर्देशों का हवाला दिया। बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों से राय लेने का फैसला किया है।