बिहार सियासतः आधी आबादी संभाल रही हैं पारिवारिक विरासत?, 2020 में 26 महिला विधायक, 2025 में कई लड़ रहीं चुनाव, देखिए लिस्ट

By एस पी सिन्हा | Updated: October 24, 2025 15:02 IST2025-10-24T15:00:16+5:302025-10-24T15:02:11+5:30

Bihar Politics: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 26 महिला विधायक चुनी गई थीं, जिनमें से 16 का संबंध राजनीतिक परिवारों से था।

Bihar Politics half population inheriting family legacy 26 women MLAs in 2020 many contesting in 2025 see list | बिहार सियासतः आधी आबादी संभाल रही हैं पारिवारिक विरासत?, 2020 में 26 महिला विधायक, 2025 में कई लड़ रहीं चुनाव, देखिए लिस्ट

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Highlightsपूर्वजों या रिश्तेदारों के विधानसभा क्षेत्रों में सक्रियता से राजनीति को आगे बढ़ा रही हैं।प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र की वर्तमान विधायक निशा सिंह इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण हैं। शीला कुमारी उर्फ शीला मंडल अपने ससुर धनिक लाल मंडल की राजनीतिक परंपरा को संभाल रही हैं।

पटनाः बिहार की सियासत में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और पारिवारिक विरासत को संभालने की उनकी भूमिका ने एक नया सियासी परिदृश्य रच दिया है। आधी आबादी(महिलाएं) न केवल सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही है, बल्कि पारिवारिक के सियासी विरासत को भी बखूबी संभाल रही है। पद्मश्री किसान चाची राजकुमारी देवी से लेकर अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज और जमुई की विधायक श्रेयसी सिंह तक, बिहार की महिलाएं अपने परिवार की सियासी परंपरा को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं। चाहे वह स्व. दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी हों या अन्य महिला नेता, ये सभी अपने पूर्वजों या रिश्तेदारों के विधानसभा क्षेत्रों में सक्रियता से राजनीति को आगे बढ़ा रही हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 26 महिला विधायक चुनी गई थीं, जिनमें से 16 का संबंध राजनीतिक परिवारों से था।

2025 के विधानसभा चुनाव में भी यह रुझान कायम है, जहां दर्जनभर महिलाएं अपने परिवार की सियासी पारी को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में डटी हैं। ये महिला नेता न केवल अपने परिवार की राजनीतिक परंपरा को कायम रख रही हैं, बल्कि अपने नेतृत्व और जनसेवा के जरिए बिहार की राजनीति में नई पहचान बना रही हैं।

प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र की वर्तमान विधायक निशा सिंह इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण हैं। उनके पति बिनोद सिंह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं और अब निशा सिंह अपने परिवार की सियासी विरासत को मजबूती से आगे बढ़ा रही हैं। इसी तरह, फुलपरास की विधायक शीला कुमारी उर्फ शीला मंडल अपने ससुर धनिक लाल मंडल की राजनीतिक परंपरा को संभाल रही हैं।

धनिक लाल मंडल न केवल बिहार सरकार में मंत्री और राज्यपाल रह चुके हैं, बल्कि वर्तमान नीतीश सरकार में भी मंत्री हैं। शीला मंडल ने अपने ससुर की विरासत को न सिर्फ कायम रखा, बल्कि उसे और सशक्त बनाया है। जबकि हिसुआ की विधायक नीतू कुमारी भी अपने ससुर आदित्य सिंह की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने में जुटी हैं।

आदित्य सिंह पूर्व में मंत्री रह चुके हैं और कई बार विधायक भी रहे हैं। अब उनकी बहू नीतू कुमारी ने हिसुआ में परिवार की राजनीतिक धरोहर को संभालते हुए अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। इसी तरह, परिहार की विधायक गायत्री देवी और संदेश की विधायक किरण देवी भी अपने परिवार की सियासी परंपरा को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

दोनों ने अपने क्षेत्रों में जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाई है। नोखा की विधायक अनीता देवी की कहानी भी प्रेरणादायक है। उनके पति और ससुर दोनों बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। अनीता देवी ने परिवार की इस समृद्ध राजनीतिक पृष्ठभूमि को आधार बनाकर नोखा में अपनी अलग पहचान बनाई है। ये सभी महिला विधायक 2025 के चुनाव में भी पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं।

जो न केवल उनकी व्यक्तिगत क्षमता को दर्शाता है, बल्कि बिहार की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती ताकत को भी रेखांकित करता है। मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट विधानसभा क्षेत्र में 2010 में विधायक रहीं वीणा देवी की पुत्री कोमल सिंह अब जदयू के टिकट पर उसी सीट से मैदान में हैं।

जबकि वीणा देवी वर्तमान में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद के रूप में वैशाली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनके पिता दिनेश प्रसाद सिंह जदयू के विधान पार्षद हैं। इसी क्रम में, लालगंज विधानसभा क्षेत्र से शिवानी शुक्ला राजद के टिकट पर अपने माता-पिता पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और अन्नु शुक्ला की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने उतरी हैं।

परिहार विधानसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार स्मिता पूर्वे गुप्ता अपने ससुर पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे की परंपरा संभाल रही हैं, जो लंबे समय तक लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री रह चुके हैं और फिलहाल बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद की बहू रमा निषाद औराई विधानसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं।

जहां उनके पति अजय निषाद दो बार मुजफ्फरपुर से भाजपा सांसद रह चुके हैं। इसी तरह, पूर्व विधायक गुलाब यादव की पुत्री बिंदु गुलाब यादव राजद के टिकट पर बाबूबरही विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि, इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि बिहार में महिलाएं न केवल पारिवारिक राजनीति की विरासत को संभाल रही हैं।

बल्कि अपने दम पर नया नेतृत्व स्थापित कर रही हैं। यह भागीदारी उन्हें राजनीतिक रूप से सशक्त बना रही है और राज्य की सियासत में महिलाओं की भूमिका को और मजबूत कर रही है। बिहार के राजनीतिक परिवारों में महिलाओं की यह नई पारी उनकी सक्रियता और नेतृत्व क्षमता का जीवंत प्रमाण है, जो आने वाले समय में राज्य की राजनीति को नई दिशा देगी।

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