स्वास्थ्य विभाग पर पटना हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, गैर-पंजीकृत निजी अस्पतालों और क्लिनिक की मांगी लिस्ट

By एस पी सिन्हा | Updated: April 29, 2022 15:16 IST2022-04-29T15:10:49+5:302022-04-29T15:16:30+5:30

पटना हाईकोर्ट ने उन निजी अस्पतालों की सूची मांगी है जो रजिस्ट्रेशन के बगैर चल रहे हैं. अदालत ने पूछा है कि इनके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की गई है.

Bihar Patna High Court comment on Health Department, said- ensure that all people get better health service in state | स्वास्थ्य विभाग पर पटना हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, गैर-पंजीकृत निजी अस्पतालों और क्लिनिक की मांगी लिस्ट

राज्य में सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ सेवा मिले, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए: पटना हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

पटना: पटना हाईकोर्ट ने बिहार की चिकित्सा व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना राज्य सरकार का दायित्व है. राज्य में हर दिन खुल रहे निजी अस्पताल और रजिस्ट्रेशन के बगैर उनके संचालन को लेकर भी अदालत ने गंभीरता दिखाई है. अदालत ने कहा कि निजी क्लीनिकों एवं अस्पतालों के जरिए सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ सेवा मिले, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उन निजी अस्पतालों की सूची तलब की है जो रजिस्ट्रेशन के बगैर चल रहे हैं. अदालत ने पूछा है कि ऐसे कितने अस्पतालों और क्लिनिको के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है जो रजिस्ट्रेशन के बगैर चल रहे हैं? इसका ब्योरा भी अदालत ने तलब किया है. 

अदालत ने निजी अस्पतालों और क्लिनिकों पर भी नियंत्रण हेतु ही राज्य में 2007 से ही क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट कानून लागू है. लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया है. पटना हाईकोर्ट के न्ययाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने संतोष ठाकुर उर्फ देवेंद्र ठाकुर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जिलावार गैरनिबंधित क्लीनिकों के आंकडे ही नहीं बल्कि उन पर की गई कानूनी कार्रवाई का भी ब्योरा तलब किया है. 

अदालत के सामने ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें अनाधिकृत डॉक्टर, जिन्हें झोला छाप डॉक्टर भी कहा जाता है, द्वारा क्लीनिक चलाने की बात उजागर हो रही है. स्वाभाविक हैं कि राज्य के अंदर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट कानून के अंतर्गत ऐसे अनधिकृत डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. अग्रिम जमानत के अर्जीदार बिहियां स्थित एक निजी क्लिनिक चलाते हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने झोला छाप डॉक्टरों से एक महिला का ऑपरेशन करवाया, जिससे इस महिला मरीज की मौत हो गई. 

सुनवाई के दौरान अपर लोक अभियोजक झारखंडी उपाध्याय ने कोर्ट से एक सप्ताह समय की मांग की है ताकि जिलावार विस्तृत आंकडे कोर्ट मे पेश किए जा सके. इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.

Web Title: Bihar Patna High Court comment on Health Department, said- ensure that all people get better health service in state

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :Patna High Court