साइकिल गर्ल ज्योति ने फिर जीता दिल, पुरस्कार में मिली राशि, 50 हजार खर्च कर गरीब चचेरी बुआ के हाथ पीले किए
By एस पी सिन्हा | Published: June 16, 2020 08:27 PM2020-06-16T20:27:54+5:302020-06-16T20:27:54+5:30
ज्योति ने पुरस्कार में मिली राशि में से 50 हजार रुपये खर्च कर अपनी गरीब चचेरी बुआ कविता के हाथ पीले कर सभी को हतप्रभ कर दिया है. उसके इस दूसरे नए कारनामे ने पुन: एक बार परिवार व समाज सहित देश-दुनिया का दिल जीत लिया है.
पटनाः गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा अपनी साइकिल के कैरियर पर बिठाकर अपने बीमार पिता को लाने वाली साइकिल गर्ल ज्योति ने एक बार फिर बड़ा काम कर परिवार के साथ समाज का भी दिल जीत लिया है.
ज्योति ने पुरस्कार में मिली राशि में से 50 हजार रुपये खर्च कर अपनी गरीब चचेरी बुआ कविता के हाथ पीले कर सभी को हतप्रभ कर दिया है. उसके इस दूसरे नए कारनामे ने पुन: एक बार परिवार व समाज सहित देश-दुनिया का दिल जीत लिया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार ज्योति के दादा दो भाई थे. दोनों दादा कारी पासवान व शिवनंदन पासवान का निधन हो चुका है. चचेरी दादी विधवा लीला देवी लकवाग्रस्त हैं. ज्योति ने अपनी चचेरी दादी की हालत देख उनकी बेटी कविता कुमारी की शादी कराने का फैसला लिया और यह बात उसने अपने माता-पिता से कही.
इस संबंध में ज्योति के पिता मोहन पासवान ने कहा कि ज्योति ने ही कविता की शादी करा देने का सुझाव दिया था. उसने कहा कि कल हमारे पास कुछ नहीं था. लेकिन आज जो कुछ है, बहुत है तो एक गरीब की बेटी की शादी करा देनी चाहिए.
उन्होंने सहर्ष इसे स्वीकार किया और आज ज्योति के पैसे से रिश्ते में उसकी बहन कविता की शादी अरविंद से हो पाई. उन्होंने कहा कि इसमें सब कुछ ज्योति का है और उन्हें अपनी बेटी पर नाज है. कविता की शादी समस्तीपुर जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के नाथुद्वार गांव के शिबू पासवान के पुत्र अरविंद पासवान के साथ श्यामा मंदिर में हुई है. इसके लिए ज्योति ने पुरस्कार में मिली राशि में से 50 हजार रुपये खर्च किए.
इस संबंध में ज्योति ने बताया कि उसके दादाजी दो भाई थे. अपने दादा शिवनंदन पासवान और उनके भाई कारी पासवान. दोनों भाइयों का स्वर्गवास हो चुका है. उसकी अपनी दादी भी भगवान को प्यारी हो चुकी है. बची एक चचेरी दादी मोसमात लीला देवी लकवा से ग्रस्त और दिव्यांग होने के साथ ही अत्यंत गरीब है.
उनकी तीन पुत्रों व तीन पुत्रियों में एक पुत्री कविता जो उसकी चचेरी बुआ है, वह कुंआरी थी. उसकी शादी के लिए उसकी दादी बेचैन रहती थी. ज्योति ने अपनी दादी की हालत देख उनकी एक पुत्री कविता कुमारी की शादी अपनी ओर से कराने का निर्णय लेकर अपने फैसले से पिता मोहन पासवान और मां को अवगत कराया.
उसने अपने पिता से कहा कि वह अपनी इनाम की राशि से एक बुआ की शादी कर अपनी बीमार चचेरी दादी के अरमान को पूरा करना चाहती है. बेटी की बात सुन माता-पिता ने ज्योति को गले लगा लिया. आनन-फानन में लड़के की खोज शुरू हुई और समस्तीपुर जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के नाथुद्वार गांव निवासी शिबू पासवान के पुत्र अरविन्द पासवान के साथ बीते 13 जून की रात दरभंगा में स्थित दुर्गा मंदिर में शादी कराई गई.