बिहार में आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों-विधायकों की बढ़ेगी मुश्किलें, पटना हाईकोर्ट ने दिया सख्त निर्देश

By एस पी सिन्हा | Updated: February 4, 2022 20:30 IST2022-02-04T20:29:17+5:302022-02-04T20:30:55+5:30

पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जन प्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा मांगा है. राज्य गृह सचिव से तमाम जानकारियां मांगी गई हैं.

Bihar news MPs and MLAs named in criminal cases may face difficulty, Patna High Court gives strict instructions | बिहार में आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों-विधायकों की बढ़ेगी मुश्किलें, पटना हाईकोर्ट ने दिया सख्त निर्देश

बिहार में आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों-विधायकों की बढेगी मुश्किलें! (फाइल फोटो)

Highlightsपटना हाईकोर्ट ने राज्य में जन प्रतिनिधियों के विरूद्ध चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा मांगा है।जन प्रतिनिधियों के विरूद्ध चल रहे आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाने की कवायद।मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने सभी आपराधिक मामलों का ब्यौरा तलब किया है।

पटना: बिहार में आपराधिक मामलों में नामजद सांसदों और विधायकों की मुश्किलें बढने वाली है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जन प्रतिनिधियों के विरूद्ध चल रहे आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए राज्य गृह सचिव से उन  . ये सभी मामलें राज्य के सभी सम्बंधित सांसद/ विधायकों के खिलाफ चल रहे हैं. 

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः दायर हुई एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है. 

गृह सचिव को हलफनामे में राज्य के सभी प्राथमिकी एवं थाना का विवरण देना है, जो जन प्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज हुए हैं. उनमे लंबित पड़े अनुसंधान की प्रगति, जिन मामले में आरोप पत्र दायर हो चुका है, उनकी कोर्ट में हो रही सुनवाई के चरण की हालिया जानकारी देनी है. 

साथ में निचली अदालतों में एमपी/एमएलए आरोपियों के खिलाफ चल रहे ट्रायल के विभिन्न चरण, गवाही की मौजूदा स्थिति, जहां गवाही हो गई वहां दंड प्रक्रिया सहिंता 313 के तहत आरोपी को अपने बचाव में बयान दर्ज करवाने की प्रक्रिया व अंतिम बहस के अलग-अलग चरण के जिलावार आंकड़े गृह विभाग को कोर्ट में पेश करना है. 

17 फरवरी को होगी अलगी सुनवाई

खण्डपीठ ने रजिस्ट्रार, लिस्ट व कम्प्यूटर ऑपरेटरों को भी निर्देश दिया कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों या उनमे दायर अपील, रिवीजन और निचली अदालतों के मामले या प्राथमिकी को निरस्त करने हेतु दायर हुई क्रिमनल मिसलेनियस याचिकाओं की सूची बनाकर, उन्हें दो हफ्ते के भीतर मुख्य न्यायाधीश की खण्डपीठ के समक्ष लिस्ट करें. इन मामलों पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को की जाएगी.

उल्लेखनीय है कि पटना हाई कोर्ट में, यह मामला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के आलोक में स्वतः दायर हुआ है, जो अश्वनी उपाध्याय बनाम केंद्र सरकार के जनहित मामले में 16 सितम्बर, 2020 को पारित हुआ था. 

उक्त आदेश के जरिये सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट प्रशासन को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि कोरोना काल मे भी एमपी/एमएलए के विरूद्ध कोर्ट में चल रहे आपराधिक मामलों के ट्रायल में कोई शिथिलता नहीं आनी चाहिए. जहां तक हो सके वर्चुअल सुनवाई के जरिये जन प्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे ट्रायल में तेजी आनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जिन आपराधिक मामलों पर हाईकोर्ट से रोक लगी हुई है, उन मामलों पर रोजाना सुनवाई करने के लिए खुद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक खण्डपीठ गठित हो.

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