पटनाः बिहार में एनडीए की नई सरकार के गठन के 10 महीने से अधिक बीत जाने के बावजूद खाली पड़े बोर्ड-निगम और आयोगों के नहीं भरे जाने से भाजपा और जदयू नेताओं के बीच निराशा की भावना बढ़ती जा रही है। दरअसल, एक दर्जन से अधिक ऐसे आयोग हैं, जो खाली हैं। इन आयोगों में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एडजस्ट किया जाता रहा है। हालांकि सितंबर 2024 में नीतीश सरकार ने बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया था, जिसमें अध्यक्ष समेत छह राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जगह दिया गया था। लेकिन इसके बाद सरकार ने चुप्पी साध ली है।
जानकारों का कहना है कि बिहार में जब जदयू और राजद की सरकार रहती है। दोनों दल के कार्यकर्ताओं को तुरंत एडजस्ट कर दिया जाता है। लेकिन भाजपा और जदयू की सरकार में इसमें जल्दी नहीं दिखाई जाती है। हालांकि सरकार गठन के बाद ही यह कहा जाने लगा था कि जल्द ही खाली पड़े सभी बोर्ड-निगम आयोगों को भर लिया जाएगा।
लेकिन साल गुजरने वाला और मनोनयन के सवाल पर चुप्पी देखी जा रही है। ऐसे में नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी बढ़ती जा रही है। बता दें कि जनवरी 2024 में सूबे में नई सरकार के गठन के ठीक बाद ही कई आयोगों को भंग कर दिया गया था। बिहार महिला आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग आयोग, संस्कृत शिक्षा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, महादलित आयोग, मदरसा बोर्ड, नागरिक पर्षद, सवर्ण आयोग समेत कई अन्य आयोग खाली हैं। खाद्य आयोग, पिछड़ा आयोग में भी सदस्य का पद खाली है।
खाली पद पर नियुक्ति कब होगी? इस बारे में किसी को पता नहीं। चर्चा है कि 9 सितंबर 2024 को बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल ने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। इसके बाद उन्होंने मीडिया से कहा था कि सब कुछ तय हो चुका है। विस्तार कभी भी हो सकता है। हम तैयार हैं। हम निगमों और बोर्डों के रिक्त पदों को भी बहुत जल्द भरेंगे।
अब इस मुद्दे पर बोलने को कोई तैयार नहीं। जानकारों की मानें तो बिहार में एनडीए सरकार के दौरान कार्यकर्ताओं को सेट करने में परेशानी होती रही है। कारण यह की भाजपा समय से अपने नेताओं की सूची सरकार को नहीं सौंपती। यही वजह है कि बार-बार मामला फंसता है। जबकि जदयू और राजद गठबंधन की सरकार में ऐसी समस्या नहीं आती। महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव ने एक झटके में ही पार्टी के सैकड़ों राजनैतिक कार्यकर्ताओं को सरकारी सिस्टम में एडजस्ट करवा दिया था।
तमाम बोर्ड-निगमों में जदयू और राजद के नेताओं को अध्यक्ष-सदस्य के तौर पर राजनैतिक नियुक्तियां की गई थी। सरकार में आने के बाद राजद ने अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। लेकिन महागठबंधन सरकार के खात्मा के बाद सरकार ने तमाम राजनीतिक नियुक्तियां रद्द कर दी थी। तब से अधिकांश आयोग खाली पड़े हैं।