पटनाः बिहार में शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन करवाने के लिए मद्य निषेध विभाग ने नया दांव चला है. इसी कड़ी में विभाग ने यह फैसला लिया है कि राज्य में शराब पीने वालों को अब जेल नहीं भेजा जायेगा. लेकिन शराबियों को अपने क्षेत्र के शराब माफियों की जानकारी पुलिस को देनी होगी.
उसकी निशानदेही पर पुलिस और उत्पाद विभाग की कार्रवाई में अगर बेचने वाले की गिरफ्तारी हो जाती है या शराब बरामद हो जाती है तो, पीने वाले को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.आज बिहार में शराबबंदी को लेकर उत्पाद विभाग और मद्यनिषेध विभाग ने समीक्षा की. यह जानकारी उत्पाद आयुक्त बी. कार्तिकेय धनजी ने दी है. उन्होंने बताया कि शराब तस्करों को बख्शा नहीं जाएगा.
शराब पीने वाला व्यक्ति यदि शराब तस्कर की सही जानकारी देता है तो उसे छूट दी जाएगी और उसे जेल नहीं भेजा जाएगा. अगर कोई व्यक्ति शराब का सेवन करने के बाद पकड़ा जाता है तो वो जेल जाने से तब बच सकता है, जब वह शराब माफिया के बारे में पुलिस को जानकारी दे दे. यानी जहां से शराब खरीदा गया उसकी जानकारी देनी होगी.
इसके बाद अगर उसके दिए सूचना पर धंधेबाज पकड़ा जाता है, तब जाकर वह व्यक्ति जेल जाने से बच सकता है. कानून उसकी मदद करेगी. वहीं सहायक आयुक्त उत्पाद कृष्ण पासवान ने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अब तक करीब साढे़ तीन से 4 लाख व्यक्तियों को शराब पीने के आरोप में जेल भेजा गया है.
यदि शराब पीने वाला व्यक्ति हमारी मदद करता है तो विभाग भी उसकी मदद करेगा. उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी विभाग की होगी. कृष्णा पासवान ने बताया कि आज लिए गये फैसले के तहत बिहार पुलिस और मद्य निषेध व उत्पाद विभाग को विशेष अधिकार दिया गया. बिहार की जेलों में शराब का सेवन करने के बाद पकड़ाने वाले कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है.
जेलों पर बढे़ लोड को देखते हुए ऐसा फैसला लिया गया है. पिछले केवल दस महीने के अंदर बिहार में करीब 50 हजार लोगों को शराब मामले में जेल भेजा गया था. इसकी संख्या में अब और बढ़ोतरी हो गई है. बता दें कि बिहार में शराब मामले को लेकर उत्पाद विभाग की टीम अब और अधिक सक्रिय हो गई है. पुलिस को ड्रोन कैमरे और मिनी हेलिकॉप्टर मुहैया कराये गये हैं.
वहीं पुलिस की सक्रियता बढ़ी तो शराब माफियाओं ने नये-नये तरीके ढूंढ निकाले हैं, जिसके सहारे तस्करी जोरों पर की जा रही है. इसबीच सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवर से सरकार सकते में हैं, लिहाजा आनन फानन में नियम-कायदे बदलने के एलान किये जा रहे हैं. शायद यही कारण है कि शराब का सेवन करने वालों से अधिक अब शराब का कारोबार पसारे हुए माफिया उत्पाद विभाग के निशाने पर हैं.
वहीं अदालतो में शराब मामले के बढते बोझ को कम करने के लिए भी अब उत्पाद विभाग ने नयी तैयारी की है. हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने भी शराबबंदी कानून को लेकर सरकार के ऊपर सवाल खडे किये थे. जेलों में शराब कांड से जुडे़ मामलों में बढ़ रहे कैदियों की संख्या और अदालतों में शराब से जुडे़ मामले में जमानत याचिकाओं की बढ़ी संख्या पर अदालत ने चिंता जाहिर की थी.