नई दिल्लीः बिहार विधानसभा में विपक्षी दलों के विधायकों के साथ हुई मारपीट को लेकर आज संयुक्त विपक्ष ने घटना की कड़ी निंदा करते हुये लोगों से से अपील की कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिये अपनी आवाज़ बुलंद करें।
कांग्रेस, सपा, डीएमके, टीआरएस, राकांपा, शिवसेना और आरजेडी सहित समूचे विपक्ष साझा बयान ज़ारी किया और आरोप लगाया कि भाजपा -जेडीयू सरकार काला क़ानून ला कर राजनीतिक दलों, पत्रकारों, बुद्धजीवियों को दबाना चाहती है ताकि सरकार के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ न उठा सके।
बिहारकांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास की टिप्पणी थी "गांधी जी के देश में, अहिंसा के पुजारी के देश में एक के बाद एक हिंसात्मक घटनाएं बीजेपी के शासनकाल में, केन्द्र में और कई राज्यों में होती आई हैं और उसके साथ-साथ उनकी जो मिली-जुली सरकार है बिहार में, उनकी जो गठबंधन की सरकार है, एनडीए की सरकार है, जो कुछ साल पहले लोकतंत्र की बात कर रहे थे, क्या हो गया है उनको? किस तरह के दबाव में हैं वो? जो बातें बीजेपी के आचरण और व्यवहार जैसी लगती है, उसी तरह से वो आचरण करते-करते सीमा लांघ गए।"
राहुल गांधी ने ट्वीट कर घटना की निंदा करते हुए लिखा "बिहार विधानसभा की शर्मनाक घटना से साफ़ है कि मुख्यमंत्री पूरी तरह RSS/BJP-मय हो चुके हैं। लोकतंत्र का चीरहरण करने वालों को सरकार कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। विपक्ष फिर भी जनहित में आवाज़ उठाता रहेगा- हम नहीं डरते! " सूत्रों के अनुसार लामबंद विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना कर समूचे बिहार में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है।