बिहार में कोसी इलाका, दहेज में पैसा, कार और बाइक नहीं, नाव दीजिए, जानें क्या है पूरा मामला

By एस पी सिन्हा | Updated: February 3, 2022 20:23 IST2022-02-03T20:21:26+5:302022-02-03T20:23:34+5:30

बिहार में कोसी इलाके का मामला है. बताया जाता है कि एक नाव का निर्माण कराने में 10 हजार से लेकर दो लाख रुपए खर्च किया जाता है. नाव बनाने में एक से दो महीने का वक्त लग जाता है.

bihar Kosi area gives boat dowry father's daughter's marriage 10 thousand two lakh rupees spent build  | बिहार में कोसी इलाका, दहेज में पैसा, कार और बाइक नहीं, नाव दीजिए, जानें क्या है पूरा मामला

नावों को वो किराये पर दे देते हैं. जिससे उनकी अच्छी आमदनी भी हो जाती है. (file photo)

Highlightsसाहपुर पंचायत के साहपुर चाही गांव में सौ से ज्यादा लोग अपनी बेटियों के विवाह में नाव दे चुके हैं. लड़कों के विवाह के लिए दहेज में नाव मांग लोग करते हैं. नावों का उपयोग अपने लिए तो किया ही जाता है व्यवसायिक उपयोग भी करते हैं.

पटनाः बिहार में कोसी इलाके में इनदिनों लकड़ी का नाव बनाने वाले नाव निर्माताओं(बढ़ई कारीगरों) पर काम का दबाव बढ़ गया है. दरअसल, इन दिनों नाव की मांग बढ़ गई है. हालांकि अभी बरसात का मौसम नहीं है, पर शादी विवाह का मौसम होने के कारण नाव की मांग ने बाजार को गर्म कर दिया.

इसका कारण यह है कि कोसी इलाके में बसे गांव के लोग अपनी बेटी की शादी उपरांत विदाई में नाव देते हैं. बताया जाता है कि कोसी नदी की मुख्यधारा के अलावा कई उपधारा गांवों को घेरे रहती है. गांव में शादी-विवाह का मौका हो या इलाज की जल्दी, पशुचारा की जरूरत हो या संबंधियों यहां आना-जाना, जून से अक्टूबर तक सिर्फ नाव ही सहारा होता है.

घर से निकले नहीं कि नाव की सवारी प्रारंभ हो जाती है. कारण कि इन दिनों यह इलाका बाढ़ से त्रस्त रहता है. इस कारण से कोसी में बेटी की विदाई पर दहेज स्वरूप नाव दिया जाता है. लोग अपनी बेटियों का विवाह तय करने से पहले ही नाव बनाने के लिए आर्डर दे देते हैं. कारण कि यह संभावना रहती है कि लड़के के परिवार वाले दहेज में नाव की मांग अवश्य करेंगे.

बताया जाता है कि एक नाव का निर्माण कराने में 10 हजार से लेकर दो लाख रुपए खर्च किया जाता है. नाव बनाने में एक से दो महीने का वक्त लग जाता है. प्राप्त जानकारी के अनुसार साहपुर पंचायत के साहपुर चाही गांव में सौ से ज्यादा लोग अपनी बेटियों के विवाह में नाव दे चुके हैं. लड़कों के विवाह के लिए दहेज में नाव मांग लोग करते हैं.

बाढ़ से महीनों प्रभावित रहने वाले ऐसे गांवों के लोगों के लिए दूसरा कोई चारा नहीं है. नावों का उपयोग अपने लिए तो किया ही जाता है व्यवसायिक उपयोग भी करते हैं. इन नावों को वो किराये पर दे देते हैं. जिससे उनकी अच्छी आमदनी भी हो जाती है.

उसी तरह से गोविन्दपुर गांव के लोगों के द्वारा भी अपनी बेटी के विवाह के लिए भी नाव बनवाया जा रहा है. बेटी का विवाह कहीं कर लें परंतु बाढ़ के समय मायके लौटने के लिए तो इन नावों का ही सहारा लेना पड़ेगा. ऐसे में कोसी ईलाके में बेटी की शादी में दहेजस्वरूप नाव की मांग किया जाना आवश्यक माना जाता है.

Web Title: bihar Kosi area gives boat dowry father's daughter's marriage 10 thousand two lakh rupees spent build 

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