बिहार: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले पांच दिन से हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर, कार्रवाई में जुटी सरकार

By एस पी सिन्हा | Updated: December 27, 2020 19:14 IST2020-12-27T19:09:03+5:302020-12-27T19:14:40+5:30

स्वास्थ्य विभाग स्टाइपेंड को लेकर हड़ताल करनेवाले जूनियर डॉक्टरों द्वारा इलाज बाधित करने पर उनको छात्रावास से रिस्टिकेट करने की कार्रवाई पर भी विचार कर रहा है.

Bihar: Junior doctors on strike for the last five days, government in action to increase stipend | बिहार: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले पांच दिन से हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर, कार्रवाई में जुटी सरकार

बिहार: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले पांच दिन से हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर, कार्रवाई में जुटी सरकार

Highlightsबिहार में जूनियर डॉक्टर पिछले पांच दिनों से हड़ताल पर हैं.सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीज बेमौत मरने को विवश हैंसरकार ने अब कठोर कदम उठाते हुए हड़ताल पर गए राज्य के जूनियर डॉक्टरों का मौजूदा स्टाइपेंड आज से कटना शुरू कर दिया

पटना: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर बिहार में जूनियर डॉक्टर पिछले पांच दिनों से हड़ताल पर हैं. इससे बिहार में सरकारी अस्पतालों मेम स्वास्थ्य सेवायें लगभग चरमरा गई हैं. सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीज बेमौत मरने को विवश हैं. जबकि भर्ती होने आने वाले मरीजों को देखने वाला कोई नही है. स्थिती लगातार भयावह होती जा रही है. ऐसे में सरकार ने अब कठोर कदम उठाते हुए हड़ताल पर गए राज्य के जूनियर डॉक्टरों का मौजूदा स्टाइपेंड आज से कटना शुरू कर दिया है. कारण कि सरकार से उनकी बातचीत बेनतीजा रही है. सरकार ने पहले ही घोषणा की थी कि अगर जूनियर डॉक्टर काम पर वापस नहीं लौटे तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. 

इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग स्टाइपेंड को लेकर हड़ताल करनेवाले जूनियर डॉक्टरों द्वारा इलाज बाधित करने पर उनको छात्रावास से रिस्टिकेट करने की कार्रवाई पर भी विचार कर रहा है. विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने से लेकर कोर्ट तक मामले ले जाने पर भी मंथन किया जा रहा है. जूनियर डॉक्टरों पर सरकार अब दंडात्मक कार्यवाही भी करेगी. बता दें कि जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग पर अड़े हुए हैं और सरकार से इस मामले पर लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं. बिहार में जूनियर डॉक्टरों को स्वास्थ्य व्यवस्था महत्वपूर्ण माना जाता है. ओपीडी से लेकर इमरजेंसी सेवा तक जूनियर डॉक्टर बड़ी भूमिका निभाते हैं. साल 2017 के बाद स्टाइपेंड नहीं बढ़ाए जाने से नाराज जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. आधिकारिक सूत्रों की माने तो हड़ताली डॉक्टर सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना भी कर रहे हैं. सख्ती के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी मेडिकल कालेज अस्पतालों से जूनियर डाक्टरों की उपस्थिति की मांगी गई रिपोर्ट पहुंच गई है. विभाग हड़ताल पर रहने वाले जूनियर डाक्टरों पर नो वर्क-नो पे प्रावधान लागू करेगी. 

विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों ने बिना किसी सूचना दिये हड़ताल पर जाने का एकतरफा निर्णय लिया है. इसके कारण मरीजों के इलाज कराने में बाधा पहुंच रही है. विभागीय स्तर पर हड़ताली डॉक्टरों ने कभी बातचीत करने का प्रयास भी नहीं किया. जिससे यह मालूम हो कि उनकी मांगे क्या क्या है? ऐसे में विभाग अब ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है. सभी मेडिकल कॉलेज के अनुशासन समिति को निर्देश दिया गया है वह इस प्रकार की कार्रवाई की रिपोर्ट विभाग को भेजे. मेडिकल कॉलेजों द्वारा रिपोर्ट मिलने के बाद वैसे चिकित्सकों को चिह्नित कर कार्रवाई की जायेगी.

यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में डॉक्टरों के कुल 14000 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से केवल 8000 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों के साढे चार हजार पद है. लेकिन मौजूदा वक्त में केवल 2000 ही कार्यरत हैं. जूनियर डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा के लिए बड़े विकल्प बन चुके हैं. उधर, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण लगातार मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पीएमसीएच समेत तमाम मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मरीज इलाज के अभाव में तड़प रहे हैं. प्रशासन कह रहा है कि अस्पताल में मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है. जबकि हकीकत यह है कि पीएमसीएच की चौखट पर मरीज इलाज की बाट जोह रहे हैं.

Web Title: Bihar: Junior doctors on strike for the last five days, government in action to increase stipend

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