बिहार सरकार वापस ले सकती है सीबीआई को दी हुई आम सहमति, 'बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और मेघालय पहले ही बंद कर चुके हैं अपने दरवाजे'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 28, 2022 20:41 IST2022-08-28T20:37:15+5:302022-08-28T20:41:15+5:30
बिहार में सत्तारूढ़ 'महागठबंधन' ने आरोप लगाया कि सीबीआई केंद्र की राजनीतिक शिकार का हथियार बन गई है। इसलिए बिहार सरकार सीबीआई को दी हुई आम सहमति वापस ले सकती है।

फाइल फोटो
पटना:बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ 'महागठबंधन' ने आरोप लगाया कि सीबीआई केंद्र की राजनीति शिकार का हथियार बन गई है। इसलिए बिहार सरकार सीबीआई को दी हुई आम सहमति वापस लेने जा रही है।
बिहार सरकार का आरोप है कि केंद्र में सत्ता का नेतृत्व कर रही भाजपा अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्रीय एजेंसी का इस्तेमाल कर रही है। बिहार सरकार के इस नये कदम से पहले पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और मेघालय सहित नौ राज्यों ने अपने अधिकार क्षेत्र में मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई विशेष समहति को वापस ले लिया है।
दरअसल सीबीआई के राज्यों में किसी भी केस की जांच के लिए उस राज्य सरकार से इजाजत लेनी होती है क्योंकि सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार हुआ है। इसलिए उसे राज्यों में आबाध तरीके से मामलों के जांच का अधिकार नहीं है।
बिहार सरकार के इस संभावित निर्णय के बारे में राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि दिल्ली की भाजपा सरकार जिस तरह से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, उसे देखते हुए राज्य सरकार मजबूरन सीबीआई को दी अपनी सहमति वापस ले लेगी।
इसके साथ ही तिवारी ने यह भी कहा, "हम तो चाहते हैं कि राज्य सरकार इन केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए न्यायपालिका से संपर्क करने के बारे में गंभीरता से सोचे। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों ने राज्य सरकारों के बीच अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह से खो दी है।"
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने कहा कि यही सही समय है कि राज्य सरकार सीबीआई को दी हुई आम सहमति वापस ले लेनी चाहिए। नीतीश सरकार के मंत्री मदन साहनी ने कहा, "जिस तरह से सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी नेताओं को झूठे मामले में फंसाकर उनकी छवि को खराब करने का प्रयास कर रही हैं, उसे केवल बिहार सरकार नहीं बल्कि पूरी जनता भी देख रही है और सही समय पर उचित जवाब देंगे।"
महागठबंधन में शामिल सीपीआईएमएल (एल) के विधायक महबूब आलम ने दावा किया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्यों में गैर-भाजपा सरकारों को अस्थिर करने के लिए केंद्र द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "आज के समय में एकदम साफ है कि सभी केंद्रीय जांच एजेंसियां केवल और केवल राजनीतिक उद्देश्यों से काम कर रही हैं। इसका सीधा आशय इस बात से भी समझा जा सकता है कि ये एजेंसियां कभी भी भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती हैं। बिहार में हमारी महागठबंधन सरकार ऐसी एजेंसियों की शक्तियों को कम करने के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति को वापस ले रही है।"
इसके साथ ही बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं देखी जा सकती है। उन्होंने कहा, "केंद्र में एनडीए सरकार तानाशाह हो गई है और वे केंद्रीय एजेंसियों के जरिये विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। यह अब रुकना चाहिए और बिहार सरकार को सीबीआई से अपनी सहमति वापस लेनी चाहिए।" (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)