पटना: बिहार के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का निधन हो गया है। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और पटना के बिग अपोलो अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। नरेंद्र सिंह का नाम बिहार के बड़े नेताओं में शुमार था। खासबात ये थी कि समाजवाजी नेता नरेंद्र सिंह के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत अन्य नेताओं से भी काफी अच्छे संबंध थे।
नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित कुमार सिंह अभी बिहार सरकार में मंत्री हैं। नरेंद्र सिंह की मौत के बाद बिहार के राजनीतिक गरियारे में शोकर की लहर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
नरेंद्र सिंह: जेपी आंदोलन से रखा राजनीति में कदम
लालू और नीतीश के करीबी रहे नरेंद्र सिंह ने जेपी आंदोलन के समय राजनीति में कदम रखा था। वे 70 में दशक में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए। बिहार के जमुई जिले से आने वाले और छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े नरेंद्र सिंह की लालू-नीतीश सहित स्व.रामविलास पासवान से भी खूब घनिषठता रही।
वे पहली बार 1985 में चकाई विधानसभा से विधायक चुने गए थे। 1990 में जनता दल की सरकार बनाने में नरेंद्र सिंह की भी अहम भूमिका था। लालू प्रसाद के सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।
साल 2005 में जब बिहार में सत्ता का परिवर्तन हुआ और नीतीश आए तो भी इसमें अहम भूमिका निभाने वालों में नरेंद्र सिंह ही थे। बाद में वे जीतन राम मांझी के साथ चले गए। हालांकि उनके बेटे सुमित सिंह निर्दलीय चुनाव जीतने के बावजूद नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने। वर्तमान में सुमित कुमार सिंह बिहार सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हैं।
नरेंद्र सिंह के निधन पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा, 'मेरे दुख-सुख के साथी बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के निधन की सूचना से स्तब्ध हूं। नरेन्द्र भाई जैसा योद्धा सदियों में जन्म लेतें हैं। आप इतनी जल्दी चले जाओगे ये सोचा नहीं था, आपकी कमी हमेशा खलेगी। श्रधांजलि।'
वहीं, जेडीयू अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने ट्वीट कर कहा, 'बिहार सरकार के पूर्व मंत्री श्री नरेंद्र बाबू के निधन की खबर दुःखद है। 1974 के जेपी आंदोलन काल से मेरा उनसे व्यक्तिगत संबंध रहा है। भगवान से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक-संतप्त परिजनों के लिए संबल की प्रार्थना करता हूं। उनके निधन से बिहार ने एक जमीनी नेता खो दिया है।'
नरेंद्र सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे राजनीति में कबी किसी के पिछलग्गू नहीं बने और जाति धर्म के भेदभाव की राजनीति से भी खुद को दूर रखा।