बिहार चुनाव: सुभासपा यूपी में भाजपा के साथ, बिहार में कर रही एनडीए की खिलाफत
By राजेंद्र कुमार | Updated: October 25, 2025 18:26 IST2025-10-25T18:26:47+5:302025-10-25T18:26:55+5:30
बिहार में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बिहार में उनके लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी. इस पर सुभासपा मुखिया ने बिहार की 117 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिए.

बिहार चुनाव: सुभासपा यूपी में भाजपा के साथ, बिहार में कर रही एनडीए की खिलाफत
लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर अपनी शर्तों पर राजनीति करते हैं. वह योगी सरकार में पंचायती राज जैसे बड़े विभाग के मंत्री हैं. भाजपा उन्हें यूपी में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का प्रमुख सहयोगी मंत्री हैं, लेकिन बिहार में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बिहार में उनके लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी. इस पर सुभासपा मुखिया ने बिहार की 117 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिए.
उनकी पार्टी के 17 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र खारिज हो गए और 22 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया. वर्तमान में सुभासपा के 64 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें से 30 प्रत्याशी पहले चरण में और 34 प्रत्याशी दूसरे चरण में एनडीए के उम्मीदवारों के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं.
इन प्रत्याशियों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए ओम प्रकाश राजभर दो नवंबर को बिहार में चुनाव प्रचार करने पहुंचेगे. ओम प्रकाश राजभर का चुनाव प्रचार अभियान बक्सर की राजपुर विधानसभा सीट से शुरू होगा. राजभर के साथ ही उनके बेटे डा. अरविंद राजभर और अरुण राजभर भी बिहार में चुनावी सभाएं करेंगे.
राजभर इन सीटों पर करेंगे जनसभा
सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता पीयूष मिश्रा के अनुसार, ओपी राजभर दो नवंबर को बक्सर जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र में पहली चुनावी रैली करेंगे. इसी दिन वह दरौली विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी सभा करने पहुंचेगे. इन दो चुनावी जनसभाओं के जरिए सुभासपा मुखिया बक्सर, सीवान और गोपालगंज जिले की नौ विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं को साधेंगे.
इसके बाद वह सात नवंबर को रजौली, सासाराम, चैनपुर तथा पूर्णिया में चार चुनावी सभाएं करेंगे. इन सभाओं के माध्यम से राजभर 13 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश करेंगे. फिर आठ नवंबर को वह रामनगर तथा दाउदनगर में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगे.
इन दो सभाओं के माध्यम से 10 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं संदेश दिया जाएगा. राजभर ने जिन सीटों प्रचार करने का फैसला किया है, उन पर पिछड़ों विशेषकर राजभर, रजवार, राजवंशी और राय की संख्या अधिक है. इनमें से अधिकांश सीटों पर भाजपा और जेडीयू के उम्मीदवार अभी तक चुनाव नहीं जीते हैं.
भाजपा के क्यों सतर्क रहने की जरूरत है :
बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे ओम प्रकाश राजभर के बेटे और पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव डा. अरविंद राजभर का दावा है कि बिहार में हमारी स्थिति मजबूत है. हम बिहार में भी अपना खाता इस बार खोलते हुए सुभासपा की ताकत का अहसास कराएंगे. वह यह भी कह रहे हैं कि यूपी में योगी सरकार में सुभासपा शामिल है, लेकिन हमारी पार्टी भाजपा की पिछलग्गू पार्टी नहीं है. सुभासपा की भी वजूद और ताकत है, इसके नाते ही यूपी की सरकार में हम शामिल है.
बिहार के विधानसभा चुनावों में भी हमने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी. परन्तु भाजपा ने एक भी सीट हमें नहीं दी तो अब हम अकेले ही अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं. वह कहते हैं कि बिहार की चुनावी लड़ाई में सुभासपा यहां के गांवों में भाजपा और जेडीयू और महागठबंधन की खिलाफत कर रही है.
सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर की चुनाव प्रचार को लेकर उनके पुत्र अरविंद राजभर का यह कहना है कि पार्टी मुखिया 2 नवंबर को बिहार में एनडीए के साथ ही महागठबंधन के खिलाफ दहाड़ेंगे.
लोगों को बताएंगे कि बिहार में 20 वर्षों से सत्ता में काबिज नीतीश कुमार अभी तक राजभर, रजवार और राजवंशी समाज के जीवन में सुधार नहीं ला सके हैं. यह भी बताएंगे कि कैसे भाजपा अपने साथी सहयोगियों का साथ लेकर उनके साथ छल करती है. इसलिए भाजपा के सतर्क रहने की क्यों जरूरत है.