बिहार चुनाव: महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर बंधे गांठ को खोलने के लिए आगे आए लालू यादव, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से मिले

By एस पी सिन्हा | Updated: October 9, 2025 14:58 IST2025-10-09T14:58:38+5:302025-10-09T14:58:45+5:30

दरअसल, बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव के समय लालू यादव जेल में थे और राजद की अगुवाई वाले गठबंधन के चुनाव अभियान की बागडोर तेजस्वी यादव ने संभाली।

Bihar Elections: Lalu Yadav steps forward to resolve seat-sharing disputes within the Grand Alliance, meets senior Congress leaders | बिहार चुनाव: महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर बंधे गांठ को खोलने के लिए आगे आए लालू यादव, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से मिले

बिहार चुनाव: महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर बंधे गांठ को खोलने के लिए आगे आए लालू यादव, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से मिले

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों में गांठ खुल नहीं पा रहा है। महागठबंधन में शामिल दलों की कई दौर की मैराथन बैठक होने के बावजूद मामला उलझा हुआ है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर गुरुवार को राबड़ी देवी के आवास पर होने वाली राजद संसदीय बोर्ड की बैठक अब टाल दी गई। इस बैठक को रिशेड्यूल कर 10 अक्टूबर को रखा गया है। माना जा रहा है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की संभावित मुलाकात के चलते यह निर्णय लिया गया। बता दें कि चुनावी मौसम में लालू यादव भी हुए सक्रिय हो गए हैं। 

दरअसल, बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव के समय लालू यादव जेल में थे और राजद की अगुवाई वाले गठबंधन के चुनाव अभियान की बागडोर तेजस्वी यादव ने संभाली। तेजस्वी की अगुवाई में महागठबंधन को 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा की 110 सीटों पर जीत मिली थी। महागठबंधन तब सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से 12 सीट पीछे रह गया था, लेकिन दोनों गठबंधनों के बीच वोटों का अंतर 11 हजार 500 के करीब ही रहा था। ऐसे में इस बार भले ही लालू यादव सामने नही आ रहे हैं, लेकिन पर्दे के पिछे से उन्हीं की देखरेख में चुनावी तैयारी चल रही है। महागठबंधन में सीटों के शेयरिंग को लेकर जारी जंग के बीच अब लालू यादव से फ्रंटफूट पर कमान संभाल ली है। 

इस बीच कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता गुरुवार को पटना पहुंचे। इसमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जयराम रमेश, अधीर रंजन चौधरी, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारु और कई अन्य नेता शामिल थे। कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल ने राबड़ी आवास जाकर लालू यादव से मुलाकात की है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और उम्मीदवारों को लेकर चर्चा की गई। 

उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में शामिल सभी दल अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। सभी दलों ने अपनी-अपनी डिमांड रख दी है और अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। ऐसे में साझा फॉर्मूला अब तक तय नहीं हो सका है। ऐसे में बैठक के जरिए सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। ऐसे में महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बंधी गांठ को खोलने की जिम्मेदारी लालू यादव पर आ गई है।

बता दें कि एक समय था कि लालू यादव चुनाव के वक्त जितनी सीटों का प्रसाद कांग्रेस या सहयोगी पार्टियों को बढ़ा देते थे, उसे बिना चूं चपड़ किए ग्रहण कर लिया जाता था। लेकिन अब वही पार्टियां तेजस्वी को आंखे तरेर रही हैं। हाल यह है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आक्रामक अभियानों से राजद को बैकफुट पर ला दिया है। पिछले तीन दशक के राजनीतिक इतिहास में पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस ने चुनावी माहौल में राजद पर अग्रता हासिल कर ली है। 

राजद के तेजस्वी यादव, कांग्रेस के राहुल गांधी की छाया में दब से गए हैं। लालू यादव के समय वाले राजद में और तेजस्वी यादव के राजद में जमीन-आसमान का फर्क आ गया है। लेकिन लालू यादव बिहार में कांग्रेस को अपने इशारे पर चलने के लिए मजबूर कर देते थे। अपनी शर्तों पर सीट बंटवारा करते थे। यहां तक कि वे सोनिया गांधी तक को चुनौती दे डालते थे। कांग्रेस के बड़े से बड़े नेता भी लालू यादव से सीटों का मोलतोल नहीं कर पाते थे। 

हद तो यह है कि बिना विधायक और सांसद वाली पार्टी वीआईपी ने भी तेजस्वी के सामने बड़ी मांग रख दी है। इसकी देखादेखी वामदलों ने भी और अधिक हिस्सा मांग दिया है। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी पिछले तीन महीने में 25 बार उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर चुके हैं। वे सीटों पर समझौता के लिए राजी हैं, लेकिन उपमुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए हैं। 

इस बीच हर किसी की निगाहें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी पर भी टिकी हैं। कहा जा रहा है कि वो बड़ा खेल कर सकते हैं। चर्चा है कि सहनी महागठबंधन से नाराज चल रहे हैं और एनडीए में वापसी कर सकते हैं। इसका कारण यह हि कि मुकेश सहनी खुद को इस समय बिहार की राजनीति में चुनाव से पहले ही ‘किंगमेकर’ की भूमिका में देख रहे हैं। 

उनकी पार्टी भले ही छोटी हो, लेकिन मल्लाह और निषाद समाज पर उनकी पकड़ मजबूत है। यही कारण है कि एनडीए और महागठबंधन दोनों उन्हें अपने साथ रखना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार एनडीए उन्हें ‘विनिंग सीट्स’ का लालच दे रहा है। अगर सहनी एनडीए में लौटते हैं तो साल 2020 की कहानी फिर से दोहराई जा सकती है। तब वो राजद से नाराज होकर भाजपा के साथ चले गए थे और 11 सीटें मिली थीं। 

हालांकि बाद में भाजपा और वीआईपी के रिश्ते बिगड़ गए। तीन विधायक भाजपा में शामिल हो गए और सहनी को गठबंधन छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने महागठबंधन का दामन थामा। लेकिन वहां भी उन्हें उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले।

Web Title: Bihar Elections: Lalu Yadav steps forward to resolve seat-sharing disputes within the Grand Alliance, meets senior Congress leaders

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