Bihar Elections 2020: भाजपा चाहती है केवल 102 सीट पर चुनाव लड़े जदयू लड़े!
By हरीश गुप्ता | Published: September 27, 2020 08:00 AM2020-09-27T08:00:34+5:302020-09-27T08:01:03+5:30
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बिहार लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान की नीतीश के खिलाफ खुली बगावत के पीछे भाजपा का हाथ है. भाजपा ने ही जीतनराम मांझी को दोबारा राजग में लाया और रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा को राजद-कांग्रेस महागठबंधन छोड़ने के लिए तैयार किया.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के बिहार ईकाई प्रभारी देवेंद्र फडणवीस बिहार विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने के लिए पटना और फिर दिल्ली जाने की तैयारी में हैं. फडणवीस के निकटवर्ती सूत्रों की मानें तो भाजपा का इस मर्तबा सीटों के बंटवारे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव के आगे नहीं झुकने का इरादा पक्का है.
सूत्रों का तो यह भी कहना है कि भाजपा चाहती है कि जदयू केवल 102 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे. भाजपा खुद 102 सीटों पर चुनाव लड़कर लोजपा, हम और अन्य नये साथियों के लिए 39 सीट छोड़ने का इरादा रखती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार चुनावों के लिए प्रभारी बनाने के तत्काल बाद फडणवीस ने राज्य का दौरा करके माहौल का जायजा लिया था.
लोकसभा चुनावों में 17 सीटों पर चुनाव लड़ी JDU
उनके पटना जाकर फिर अक्तूबर के पहले हफ्ते में दिल्ली आने की संभावना है. पांच सीट छोड़ी थी सूत्रों के मुताबिक मोदी को 2019 के लोकसभा चुनावों में जदयू को पांच अतिरिक्त सीट देना कतई पसंद नहीं आया था. भाजपा ने तब पांच सांसदों की सीटों का त्याग करके 22 की जगह सत्रह सीटों पर चुनाव लड़ा था. जदयू को भी सत्रह सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था.
आलाकमान ने जबर्दस्त मोदी लहर के बावजूद तब नीतीश कुमार के हाथों यह अपमान झेला था. लोकप्रियता में गिरावट लेकिन अब ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं दिखती. दूसरी ओर फडणवीस द्वारा पार्टी आलाकमान को नीतीश कुमार की लोकप्रियता में तेजी से गिरावटके बारे में भी बताए जाने की जानकारी मिली है. कोविड-19 संकट, प्रवासी मजदूर और बाढ़ के मुद्दों से निपटने में विफलता नीतीश के खिलाफ जाने की आशंका है. चिराग के पीछे भाजपा!
जीतनराम मांझी को दोबारा राजग में लाया
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बिहार लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान की नीतीश के खिलाफ खुली बगावत के पीछे भाजपा का हाथ है. भाजपा ने ही जीतनराम मांझी को दोबारा राजग में लाया और रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा को राजद-कांग्रेस महागठबंधन छोड़ने के लिए तैयार किया. शायद मोदी वह दिन नहीं भूले लगता है मोदी वह दिन नहीं भूले हैं जब 2013 में उनको प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते ही नीतीश कुमार ने राजग का साथ छोड़ दिया था.
यह बात और है कि नीतीश सत्ता में बने रहने के लिए 2017 में फिर राजग के साथ आ गए. लगता है अब नीतीश से हिसाब बराबर करने का वक्त आ गया है.
क्या कहता है आंतरिक सर्वे?
फडणवीस के कहने पर कराए गए पार्टी के आंतरिक सर्वे के मुताबिक मोदी को लोकप्रियता के मामले में नीतीश पर 12 प्रतिशत की बढ़त हासिल है. नीतीश चाहते हैं कि जदयू 118 सीटों पर चुनाव लड़े , लेकिन भाजपा का इरादा 243 सीटों में से उसे 100-102 से ज्यादा सीट देने का नहीं दिखता.