बिहारः कॉलेज से वेतन लेने पर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दी सफाई-मैंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया, विधायक का वेतन नहीं लेता
By एस पी सिन्हा | Published: April 7, 2023 04:00 PM2023-04-07T16:00:08+5:302023-04-07T17:58:04+5:30
बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर औरंगाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्राणी विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक हैं। 8 अक्टूबर 1985 से कार्यरत हैं और मार्च 2026 में सेवानिवृत होना है।
पटनाः बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर एक बार फिर से विवादों में हैं। चंद्रशेखर औरंगाबाद शहर के राम लखन सिंह यादव कॉलेज में आज भी सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। बिहार के शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए भी कॉलेज से वेतन का लाभ ले रहे हैं।
दिलचस्प बात तो यह है कि पिछले 15 साल से कॉलेज के उपस्थिति पंजी में एक बार भी हाजिरी नहीं बनाई है। बावजूद वेतन भुगतान किया जा रहा है। विपक्ष के द्वारा हर बार उनकी काबिलियत पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। शिक्षा मंत्री रहते हुए कॉलेज से वेतन लिए जाने का मामला सामने आने के बाद सियासत तेज हो गई है।
इस संबंध में जब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विपक्ष को यह खलता है कि निचले तबके का व्यक्ति कैसे बिहार का शिक्षा मंत्री बना हुआ है? जब वेतन लेने जाने पर सवाल उठाया जा रहा है तो यह भी पता किया जाना चाहिए कि क्या मैंने किसी नियमों का उल्लंघन भी किया है?
चंद्रशेखर ने कहा कि विधायक रहते हुए प्रोफेसर का काम कोई कैसे कर सकता है? विधायक के नाते मैं मधेपुरा में भी रहूं, विधानसभा में भी रहूं और पढ़ाने भी जाऊं, यह कैसे संभव है। नियमानुसार कोई भी शिक्षक चुनाव जीतने के बाद क्लास नहीं लेगा और अपने इलाके में रहेगा। ऐसा प्रावधान भी है।
ऐसे में यह सवाल कैसे उठ खड़ा हुआ कि मैंने कोई गलत किया है? मैंने भी उसी परंपरा का पालन कर रहा हूं। वर्ष 2010 से लगातार विधायक हूं, इस नाते क्लास नहीं ले सकता। नियमानुसार कॉलेज का वेतन मिलता है, जबकि विधायक का वेतन मैं नहीं लेता हूं। दोनों जगहों से वेतन लेता तो मैं दोषी होता। उन्होंने कहा कि अब एकलव्य का संतान अंगूठा नहीं देगा बल्कि जवाब देगा।
शहीद जगदेव प्रसाद का संतान अब गोली नहीं खायेगा, बल्कि उसका डटकर जवाब देगा। मेरे काम से लोग जलते हैं, यही कारण है कि मेरे खिलाफ साजिश रची जाती है। लेकिन मैं उन सबसे घबराने वाला नहीं हूं और डटकर मुकाबला करने को तैयार हूं। मैं जो भी वेतन लेता हूं नियम और परंपरा के अनुकूल होता है।
यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में ऐसा प्रावधान है कि अगर कोई प्रोफेसर राजनीति में जाता है और वह किसी भी सदन का सदस्य होता है तो वह किसी एक जगह से वेतन ले सकता है। ऐसे में विधायक बनने के बाद प्रोफेसर लोग अपना वेतन कॉलेज-विश्वविद्यालत से लेते हैं और भत्ते की राशि विधानसभा से लेते हैं। चूंकि विधायक का वेतन प्रोफेसर से कम होता है, ऐसे में वह अपना वेतन तो वहां से लेते हैं, जबकि भत्ता ज्यादा मिलता है ऐसे में भत्ते की राशि विधानसभा से लेते हैं।