बिहार में बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से बेमौत मरने को विवश हैं मरीज, सरकार बनी हुई है उदासीन

By एस पी सिन्हा | Updated: December 30, 2020 16:49 IST2020-12-30T16:46:26+5:302020-12-30T16:49:42+5:30

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल अब लंबी होती दिख रही है. जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएमसीएच में हड़ताल के दौरान लगभग 11 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 400 से ज्यादा मरीज पलायन कर चुके हैं.

Bihar Doctor Strike: Junior doctors' indefinite strike enters 8th day | बिहार में बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से बेमौत मरने को विवश हैं मरीज, सरकार बनी हुई है उदासीन

बिहार के 1300 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं तो वहीं पीएमसीएच में 600 डॉक्टर हड़ताल पर हैं

Highlightsबिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ गई हैस्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर आज 8वें दिन भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी है.बिहार में चिकित्सा व्यवस्था केवल अस्पताल के नर्सों और कुछ सीनियर डॉक्टरों पर निर्भर हो गई है. 

पटना: बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ गई है. अपनी स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर आज 8वें दिन भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. लगातार आठवें दिन जारी हड़ताल के कारण राज्य के मेडिकल कॉलेजों से पलायन जारी है तो वहीं सबसे ज्यादा पीएमसीएच में हड़ताल का असर दिख रहा है. वहीं अब बिहार में चिकित्सा व्यवस्था केवल अस्पताल के नर्सों और कुछ सीनियर डॉक्टरों पर निर्भर हो गई है. 

इस बीच अब जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल अब लंबी होती दिख रही है. जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएमसीएच में हड़ताल के दौरान लगभग 11 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 400 से ज्यादा मरीज पलायन कर चुके हैं. अस्पताल के इमरजेंसी में भी भगवान भरोसे ही मरीजों का इलाज चल रहा है. राज्य के 1300 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं तो वहीं पीएमसीएच में 600 डॉक्टर हड़ताल पर हैं. कई सीनियर डॉक्टरों ने उन्हें समझाने को कोशिश की, लेकिन वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं और मांगो को लेकर अड़े हुए हैं. 

वहीं एक महिला ने बताया कि, “मेरे बेटे का पैर ट्रक की ठोकर लगने से टूट गया है. वह दर्द से काफी परेशान है और डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं.” वहीं, जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त कराने को लेकर उदासीन बना हुआ है. राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 8 दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने को लेकर अब तक विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. विभाग चाहता है कि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य अपने स्तर पर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त करने को लेकर कार्रवाई करें. इसके लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा मौखिक रूप से लगातार मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य व अधीक्षकों को निर्देश दिए जा रहे हैं. 

वहीं, हड़ताल की वजह से केवल 10 प्रतिशत ही मरीज अस्पताल में मौजूद हैं और डॉक्टरों के आने का इंतज़ार कर रहे हैं. कई स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गए हैं. नए मरीज भी अब अस्पताल में नहीं पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों के अपने ड्यूटी पर नहीं होने की वजह से कई मरीजों की समय से जांच नहीं होने पर उनकी मौत भी हो गई है. वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य विभाग द्वारा कोई लिखित आदेश जारी नहीं होने से किसी प्रकार की कार्रवाई करने में असमर्थता जता रहे हैं. 

प्राचार्य का मानना है कि जूनियर डॉक्टरों पर कार्रवाई किए जाने से सीधे उनके निशाने पर आ जाएंगे. इधर, हड़ताल के कारण लगातार आठवें दिन भी अस्पतालों में मरीज परेशान रहे और इलाज के दौरान इधर-उधर भटकते रहे. मरीजों के मुताबिक सीनियर डॉक्टर भी वार्डों में 24 घंटे में एक बार आते हैं और बहुत तेजी में हालचाल लेकर निकल जा रहे हैं. मरीजों की समस्याएं बढ रही हैं. इलाज बुरी तरह प्रभावित है. जूनियर डॉक्टर को मनाने के लिए पीएमसीएच प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी लगे हुए हैं, लेकिन बिना उचित आश्वासन के जूनियर डॉक्टरों ने काम पर लौटने से साफ इनकार कर दिया है. इस तरह बिहार में स्थिती भयावह होती जा रही है.

Web Title: Bihar Doctor Strike: Junior doctors' indefinite strike enters 8th day

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