बिहार: बदले मौसम ने दिलाई चमकी बुखार के कहर से राहत, नहीं आ रहे नए मरीज
By एस पी सिन्हा | Published: June 24, 2019 06:38 PM2019-06-24T18:38:36+5:302019-06-24T18:38:36+5:30
बिहार में चमकी बुखार का कहर कुछ कम हुआ है. हालांकि मरने वाले बच्चों की संख्या 186 पहुंच गई है. लेकिन मौसम के बदलाव के बाद अन नये मरीजों का आना लगभग बन्द हो गया है.
पटना, 24 जूनःबिहार में चमकी बुखार का कहर कुछ कम हुआ है. हालांकि मरने वाले बच्चों की संख्या 186 पहुंच गई है. लेकिन मौसम के बदलाव के बाद अन नये मरीजों का आना लगभग बन्द हो गया है. वैसे राज्य सराकार के आंकड़ों के अनुसार अबतक इस अज्ञात बीमारी से 20 जिलों में 152 बच्चों की मौत हुई है. जबकि अपुष्ट खबरों के मुताबिक यह संख्या 186 है.
मुजफ्फरपुर जिले के सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि इस बीमारी से अब तक जिले के विभिन्न अस्पतालों में 130 बच्चों की मौत हो चुकी है. उन्होंने बताया कि इस दौरान चमकी बुखार से करीब 600 पीडित बच्चे विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं. सिविल सर्जन ने कहा कि पिछले दो दिनों से एईएस से पीडित मरीजों की संख्या में कमी आई है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि दो दिन पहले बारिश हुई थी, जिस कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई थी. सोमवार को फिर से तेज धूप निकली है.
सिंह ने बताया कि पूरे जिले में लोगों को एईएस के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. पूरे क्षेत्र में ओआरएस के पैकेट बांटे जा रहे हैं तथा बच्चों को सुबह-शाम स्नान करवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.' उन्होंने लोगों से बच्चों को गर्मी से बचाने के साथ ही समय-समय पर तरल पदार्थो का सेवन करवाते रहने की अपील की है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं और वह भी 15 वर्ष तक की उम्र के. इस कारण मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है.
वहीं, राज्य के स्वस्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी से प्रभावित जिलों में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर, सीतामढी, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जहानाबाद, किशनगंज, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, पटना, पूर्णिया, शिवहर, सुपौल शामिल हैं. मुजफ्फरपुर जिले के बाद पूर्वी चंपारण जिला सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, जहां 21 बच्चों की मौत हुई है.
मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष, डॉ जी एस सहनी ने कहा कि इस साल एक्यूट इंसेफेलाइटस सिंड्रोम (एईएस) से पीडित 450 मरीजों में से 90 प्रतिशत हाइपोग्लाइकेमिया (रक्त में शुगर की कमी) के मामले हैं. पिछले वर्षो में भी ऐसे 60-70 प्रतिशत मामले आए थे. उन्होंने कहा कि पहले भी कमोबेश इसी तरह के मामले सामने आते थे.
इसके अलावा पीड़ित बच्चों में सोडियम पोटैसियम असंतुलन के मामले सामने आए हैं. एईएस से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होता है और फिर वे बेहोश हो जाते हैं. इनमें हाइपोग्लाइकेमिया और सोडियम पोटैसियम का भी असंतुलन सामान्य कारण है.
यहां बता दें कि पूर्व के वर्षो में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी की अध्ययन कर चुकी है.