दादी और चार छोटी बहनों का पालन-पोषण करने वाले 12 साल के बच्चे पर दर्ज मामला खत्म, जज ने पेश की मानवता की मिसाल

By एस पी सिन्हा | Updated: July 7, 2021 16:26 IST2021-07-07T16:11:42+5:302021-07-07T16:26:53+5:30

बिहार में मानवीय आधार पर फैसले लेने के लिए चर्चित बिहार शरीफ किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए शराब ढोते हुए पकडे़ गए फूल बेचने वाले का बचपन संवार दिया है।

Bihar case against 12 year old child end, judge sets example of humanity | दादी और चार छोटी बहनों का पालन-पोषण करने वाले 12 साल के बच्चे पर दर्ज मामला खत्म, जज ने पेश की मानवता की मिसाल

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsन्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र ने शराब ढोते हुए पकडे़ गए फूल बेचने वाले का बचपन संवार दिया। 12 वर्षीय नाबालिग को देसी शराब के गैलन एवं एक और अवैध धंधे में पुलिस ने पकड़ा था। जज ने उसके भविष्य को देखते हुए शराब अधिनियम के तहत दर्ज मामले को खत्म कर दिया। 

पटनाः बिहार में मानवीय आधार पर फैसले लेने के लिए चर्चित बिहार शरीफ किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए शराब ढोते हुए पकडे़ गए फूल बेचने वाले का बचपन संवार दिया है। 12 वर्षीय नाबालिग को देसी शराब के गैलन एवं एक और अवैध धंधे में पुलिस ने पकड़ा था। जज ने उसके भविष्य को देखते हुए शराब अधिनियम के तहत दर्ज मामले को ही खत्म कर दिया। वहीं, बाल संरक्षण पदाधिकारी को 15 दिनों के भीतर बालक की पढाई-लिखाई समेत तमाम मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने को कहा। 

जज के आदेश पर बालक के घर पर तत्काल राशन पहुंचाया गया। साथ ही सारे थानाध्यक्ष को बीडीओ व सीओ के सहयोग से बालक की छोटी बहनों व बुजुर्ग दादी को सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने को कहा। जज ने मुख्यालय डीएसपी ममता प्रसाद से अपेक्षा की कि बालक की नियमित मॉनिटरिंग कराती रहें और इससे कोर्ट को भी अवगत कराएं, ताकि बालक फिर किसी गैरकानूनी कार्य में न फंस जाए। 

कोर्ट में पेश होते ही रोने लगा

बताया जाता है कि कोर्ट में पेश होते ही बालक जोर-जोर से रोने लगा। बालक ने कहा कि मुझे जेल मत भेजिए साहब, मेरी चारों छोटी बहनें भूख से मर जाएंगी। तब कोर्ट रूम में बालक को इत्मीनान किया कि घबराओ मत, यहां आए किसी बालक या किशोर को जेल नहीं भेजा जाता. जज की सहानुभूति पाकर उसने खुलकर अपनी विवशता सुनाई। उसने बताया कि दो साल पहले मां का निधन हो गया। घर में बूढी दादी और चार छोटी बहनें प्रियंका, पूजा, पिंकी व रिंकी हैं। सबसे बडा होने के नाते सबके भरण-पोषण के लिए पिता संग मिलकर पुश्तैनी धंधे फूलों की दुकानदारी में हाथ बंटाने लगा।

कमाई के इरादे से घर से निकला था

बालक ने जज को बताया कि लॉकडाउन में मंदिर बंद हुए तो फूलों की बिक्री ठप पड गई। सारे बाजार में छोटी-मोटी मजदूरी भी मिलनी बंद हो गई। लडके ने बताया कि पिता को शराब की लत है, वे कोई और रोजगार ढूंढने की बजाए घर बैठ गए। छोटी बहनें बिस्किट या चॉकलेट मांगती तो वे गालियां देने लगते, 3 दिन पहले तो बहनों को थप्पड भी जड़ दिया। यह देख मुझसे रहा नहीं गया, उसी वक्त कुछ कमाई के इरादे से घर से निकल पडा ताकि छोटी बहनों की ख्वाहिशें पूरी कर सकूं। 

जज ने खारिज किया मामला

बालक ने बताया कि उसे गांव का महेंद्र ढाढी उर्फ गोरका मिला, उसे अपनी मुसीबत सुनाकर काम मांगा तो उसने सौ रुपए दिए और कहा कि ये गैलन लो और जिराईनपुरी के पास पहुंचा दो, लेकिन गैलन की बदबू सूंघ मैंने कहा कि यह तो शराब है। इस पर महेंद्र ने कहा कि तुम बच्चे हो, इस कारण कोई शक नहीं करेगा। वैसे बहुत लोग हैं, इस काम को करने के लिए, यह कहकर वह रुपये वापस लेने लगा। तब मैं शराब पहुंचाने को राजी हो गया। महेश केवट के साथ बाइक पर गैलन लेकर पीछे बैठ गया। इसी बीच पुलिस ने शक के आधार पर हम दोनों को शराब समेत पकड़ लिया। यह आपबीती सुन जज मानवेन्द्र मिश्र द्रवित हो गए और बालक पर दर्ज मामले को ही खारिज कर उसके व उसके परिवार के संरक्षण की व्यवस्था कर दी।

Web Title: Bihar case against 12 year old child end, judge sets example of humanity

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