बिहार: भाजपा-जदयू के बीच रिश्तों में तल्खी, वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा- अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम के बाद दरार
By एस पी सिन्हा | Updated: December 29, 2020 20:53 IST2020-12-29T20:48:01+5:302020-12-29T20:53:37+5:30
जदयू की ओर से अरुणाचल मसले को लेकर लगातार नाराजगी जाहिर की जा रही है. इस बात को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी स्वीकार किया है. उन्होंने कहा है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि अरुणाचल के घटनाक्रम के बाद रिश्तो में दरार आई है.

बिहार: भाजपा-जदयू के बीच रिश्तों में तल्खी, वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा- अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम के बाद दरार
पटना: अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम को लेकर भाजपा और जदयू के बीच रिश्तों में आई तल्खी को अब पार्टी के नेता खुले तौर पर स्वीकार कर रहे हैं. ऐसे में लगता है कि जदयू और भाजपा के बीच रिश्ते में दरार आ चुकी है. जदयू की ओर से अरुणाचल मसले को लेकर लगातार नाराजगी जाहिर की जा रही है. इस बात को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी स्वीकार किया है. उन्होंने कहा है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि अरुणाचल के घटनाक्रम के बाद रिश्तो में दरार आई है.
आज पटना में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो हुआ वह सुखद अनुभव नहीं रहा है. भविष्य में इस तरह की दुबारा पुनरावृत्ति ना हो, इसका ध्यान अवश्य गठबंधन दलों को रखना चाहिये. उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 सालों तक बिहार में गठबंधन को लेकर किसी को भी शिकायत का मौका नहीं दिया. राजनीतिक दलों को इससे भी सीखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ पिछले 15 सालों की दोस्ती में ऐसा कभी नहीं किया, जैसा भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में किया है. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसे लेकर हम अफसोस जाहिर कर चुके हैं.
पार्टी ने तय किया है कि अब बिहार के बाहर जदयू अपने बूते संगठन का विस्तार करेगा. हम चुनाव भी लडेंगे और पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा भी दिलाएंगे. वशिष्ठ नारायण सिंह ने यह भी कहा कि आरसीपी सिंह के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद नीतीश कुमार भी सरकार के साथ-साथ पार्टी को अलग से वक्त दे पाएंगे. आरसीपी सिंह पहले से संगठन के लिए काम करते रहे हैं, लिहाजा अब पार्टी के विस्तार को खास तौर पर बिहार के बाहर जदयू अपना फैलाओ कर पाएगा.
इससे पहले जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश में जो हुआ वह गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि बिहार में जदयू-भाजपा गठबंधन पर अरुणाचल की घटना का कोई असर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 में डॉ लोहिया ने गठबंधन की राजनीति की शुरुआत की थी. इस गठबंधन की राजनीति तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में फली-फूली.
23 पार्टियों के गठबंधन की सरकार को उन्होंने चलाया और किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया. अरुणाचल प्रदेश में उस अटल धर्म का भी पालन नहीं किया गया. केसी त्यागी ने कहा कि अरुणाचल में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जदयू था. इस नाते भी जदयू ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया था कि मेरे विधायकों को मंत्रमिंडल में शामिल किया जाये. पर, अफसोस की बात है कि भाजपा ने मंत्रिमंडल में शामिल करने के बजाय अपनी पार्टी में ही हमारे विधायकों को मिला लिया. यह गठबंधन की बुनियादी भावना के भी खिलाफ है. जदयू ने अपनी यह नाराजगी और गुस्सा भाजपा नेताओं के समक्ष भी रख दी है. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में 15 सालों से जदयू-भाजपा गठबंधन चल रही है. इससे भी गठबंधन का पालन सीखना चाहिए.
वहीं, अरुणाचल मसले को लेकर कांग्रेस और राजद मुख्यमंत्री नीतीश और भाजपा नेताओं के रिश्ते पर तंज कसने से नहीं चुक रहे हैं. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा लगातार दरकिनार कर रही है. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सामने विरोध दर्ज कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार आगे क्या रास्ता अपनाते हैं, यह तो उन्हीं को तय करना है.