बिहार: कोरोना वायरस के बीच बर्ड फ्लू व स्वाइन फ्लू की दस्तक ने बढ़ाई हड़कंप, कौवों की मौत के बाद हुई जांच में पुष्टि
By एस पी सिन्हा | Updated: March 17, 2020 16:04 IST2020-03-17T16:04:25+5:302020-03-17T16:04:25+5:30
कोलकाता के लैब में भेजे गए कौवों के सैंपल की दो बार जांच हुई और दोनों ही बार उनमें बर्ड फ्लू से मौत की पुष्टि हुई है.

राज्य में बर्ड फ्लू और स्वाइन फीवर से हुई कौवों और सूअरों की मौत के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है.
पटना: कोरोना वायरस के दहशत के बीच अब बिहार में बर्ड फ्लू व स्वाइन फ्लू की दस्तक ने लोगों के बीच हड़कंप मचा दिया है. ऐसे में बर्ड फ्लू व स्वाइन फ्लू की रोकथाम के मद्ददेनजर सर्तकता बढ़ा दी गई है. अभी हाल में एक नमूने की जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद किया गया है.
हालात ये हैं कि स्वाइन फ्लू के कारण प्राय: कौवों की मरने की घटनायें सामने आ रही हैं. हालांकि पशुपालन विभाग हालांकि अभी स्वाइन फ्लू के मामलों से इंकार कर रहा है पर उसकी एनीमल हेल्थ एंड प्रोडक्शन इंस्टीच्यूट स्वाइन फीवर से सुअरों की मौत होने के बात स्वीकार कर रहा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोलकाता के लैब में भेजे गए कौवों के सैंपल की दो बार जांच हुई और दोनों ही बार उनमें बर्ड फ्लू से मौत की पुष्टि हुई है. पिछले दो माह में राजधानी समेत कई इलाकों में कौवों और सूअरों की अचानक हुई मौत के बाद उनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे. राजधानी के लोहियानगर मोहल्ले में गत 15 फरवरी को कौए की मौत की जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू बीमारी की पुष्टि हुई है.
बी-26 बीडी सिंह के घर के निकट अचानक कौओं की मौत के बाद वहां से दो बार सैम्पल जांच के लिए भेजे गए. दोनों बार ही इस बीमारी यानी एवियन्स इंफ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) की पुष्टि हुई. इसी प्रकार पटना सिटी और भागलपुर के कुछ क्षेत्रों में सुअरों की मौत के पीछे स्वाइन फीवर बीमारी की बात कही जा रही है. संस्थान के वेटनरी डॉक्टरों के मुताबिक स्वाइन फीवर भी स्वाइन फ्लू की भांति नुकसानदेह होता है. सूचना मिलने के बाद भागलपुर वेटनरी डॉक्टरों की टीम भेजी गई और वहां के सैम्पल जांच के लिए कोलकाता भेजा गया. अब तक कोई जांच रिपोर्ट नहीं आई है.
वहीं, संस्थान के निदेशक डॉ. उमेश कुमार के अनुसार मामले की पुष्टि के बाद सुरक्षात्मक कदम उठाए गए हैं. उस इलाके का सैनिटाइजेशन कराया गया. वैसे पूरे प्रभावित इलाके को सर्विलांस में रखा गया है. क्षेत्र में चलने वाली मीट-मुर्गे की दुकानों से सभी सैम्पल लिए गए हैं. कहा कि पैनिक जैसी कोई बात नहीं है. हम लोग सतर्क हैं.
निरंतर बदलते मौसम के कारण किसी बीमारी की आशंका के मद्देनजर पूरे राज्य में सर्विलांस बढ़ा दी गई है. उन्होंने कहा कि यही बीमारी यदि किसी पॉल्ट्री फार्म में निकलती तो वहां और आसपास के क्षेत्रों में मुर्गे-मुर्गियों की सामूहिक किलिंग होती. लेकिन कौओं के मामले में ऐसा किया जाना संभव नहीं है.
यह बीमारी किसी ‘जू’ या वन्य उद्यान में नहीं फैले, इसके लिए सर्तकता बरती जा रही है. यहां बता दें कि वेटनरी डॉक्टरों के अनुसार स्वाइन फीवर भी काफी नुकसान दायक है. राज्य में बर्ड फ्लू और स्वाइन फीवर से हुई कौवों और सूअरों की मौत के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है.