बेतिया राजः 15358 एकड़ जमीन कब्जे में लिया?, खुलेंगे मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय
By एस पी सिन्हा | Updated: April 14, 2025 15:08 IST2025-04-14T15:07:19+5:302025-04-14T15:08:23+5:30
bihar Bettiah Raj: कमिश्नर आवास, प्रिंसिपल जज, मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत कई बड़े अधिकारियों के आवास शामिल हैं।

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पटनाः बिहार में बेतिया राज की लगभग 15,358 एकड़ जमीन को राज्य सरकार पूर्ण रूपेण अधिग्रहित करने में जुट गई है। दरअसल, पिछले दिनों इस संबंध में राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी गई थी। बिहार विधानमंडल की ओर से पिछले महीने शीतकालीन सत्र में पारित विधेयक के बाद 11 दिसंबर को 'बेतिया राज संपत्ति निहित अधिनियम-2024' की राजपत्र अधिसूचना जारी की गई थी। इससे पहले, इन संपत्तियों का प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’, राजस्व बोर्ड (बिहार सरकार) के जरिए किया जाता था। राजपत्र अधिसूचना के मुताबिक बिहार राज्य के अंदर या बाहर स्थित बेतिया राज की सभी मौजूदा संपत्तियां, फिर चाहे वे न्यायालय के संज्ञान में हैं या जिनकी देखभाल न्यायालय द्वारा की जा रही है, चल या अचल, इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से राज्य सरकार के पास निहित होंगी।
बेतिया राज संपत्ति में बेतिया के तत्कालीन राजा की सभी चल और अचल संपत्तियां शामिल हैं। गजट के अनुसार जहां-जहां बेतिया राज की जमीन है, उसे बेतिया राज के खाते में ट्रांसफर करने के लिए बिहार सरकार ने उन प्रदेशों की सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर कवायद शुरू कर दी है।
बिहार सरकार की तरफ से संपत्ति की जांच और उसे कब्जे में लेने के लिए गोरखपुर में नियुक्त किए गए राजस्व अधिकारी बद्री प्रसाद गुप्ता ने बताया कि बेतियाहाता में मौजूद बेतिया राज की ज्यादातर संपत्ति पर सरकारी निर्माण हुआ है। इसमें मुख्य रूप से कमिश्नर आवास, प्रिंसिपल जज, मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत कई बड़े अधिकारियों के आवास शामिल हैं।
वहीं, पश्चिम चंपारण जिले के जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने बताया कि बेतिया राज की करीब आठ हजार करोड़ की सम्पति अब सरकार की हो चुकी है। अधिकारियों के अनुसार पूर्ववर्ती बेतिया राज के अधीन आने वाली भूमि का एक बड़ा हिस्सा वर्षों से अतिक्रमण का शिकार है। बिहार के जिन जिलों में बेतिया राज की जमीन स्थित है।
उनमें पश्चिमी चंपारण (9758.72 एकड़), पूर्वी चंपारण (5320.51 एकड़), गोपालगंज (35.58 एकड़), सीवान (7.29 एकड़), पटना (4.81 एकड़), सारण (88.41 एकड़) शामिल हैं। ठीक इसी तरह, उत्तर प्रदेश के जिन शहरों में बेतिया रात की जमीन स्थित है, उनमें कुशीनगर (61.16 एकड़), महाराजगंज (7.53 एकड़), वाराणसी (10.13 एकड़), गोरखपुर (50.92 एकड़), बस्ती (6.21 एकड़), प्रयागराज (4.54 एकड़), अयोध्या (1.86 एकड़) शामिल हैं। बताया जाता है कि बेतिया महाराज के पास ज़िले में क़रीब 9759 एकड़ जमीन थी, जिसमें से 6505 एकड़ जमीन का अतिक्रमण किया जा चुका है।
वहीं पूर्वी चम्पारण में बेतिया राज की क़रीब 5320 एकड़ जमीन है, जिसमें से 3221 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण है। इसके अलावा सीवान, गोपालगंज, सारण और पटना में भी बेतिया राज की जमीन अतिक्रमित है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक जिले के संग्रामपुर में बेतिया राज की कुल 45.72 एकड़ जमीन है।
इसी प्रकार पूर्वी चंपारण के हरसिद्धि में राज की कुल 247.06 एकड़, ढाका में 39.83 एकड़, चिरेया में 35.47 एकड़, घोड़ासहन में 210.05 एकड़, बनकटवा में 66.88 एकड़, रक्सौल में 150.93 एकड़, रमघड़वा में 307.75 एकड़, आदापुर में 13.26 एकड़, छौड़ादानों में 6.18 एकड़, चकिया में 59.06 एकड़, केसरिया में 254.84 एकड़, मेहसी में 131.23 एकड़, पताही में 45.5 एकड़ तथा तेतरिया में 7.04 एकड़ जमीन है। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने बताया कि बेतिया राज की भूमि के प्रभावी संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अधिनियम पारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि बिहार सरकार की तरफ से इन जमीनों की आपत्ति पर सुनवाई के लिए हर जगह एडीएम स्तर के एक अधिकारी की नियुक्ति होगी। नियुक्त किए गए अधिकारियों को आपत्ति पर 60 दिनों के अंदर सुनवाई करनी होगी। जिस पक्ष को निर्णय पर आपत्ति होगी वो तीस दिन के अंदर फिर से समाहर्ता के पास अपील दायर करेगा, जिस पर अधिकारी को 30 दिनों में अपना निर्णय देना होगा।
संजय सरावगी ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को चिह्नित किया जा रहा है और उनकी सूची तैयार की जा रही है। भविष्य में इन जमीनों पर मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय बनाए जाएंगे। बता दें कि बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 26 मार्च, 1893 को बिना किसी उत्तराधिकारी के हुई, उनकी दो पत्नियां महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर थीं।
महारानी शिव रत्ना कुंवर राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति की उत्तराधिकारी बनीं, लेकिन 24 मार्च, 1896 को उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद महारानी जानकी कुंवर संपत्ति उत्तराधिकारी बनीं। चूंकि यह पाया गया कि महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रशासन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ ने अपने हाथ में ले लिया। अब सरकार ने इसे अधिग्रहित कर लिया है।