बिहार विधानसभा चुनावः तेजस्वी यादव मुश्किल में?, 5 दल के साथ मैदान में उतरेंगे तेज प्रताप, जानिए राजद पर क्या होगा असर
By एस पी सिन्हा | Updated: August 6, 2025 15:14 IST2025-08-06T15:05:20+5:302025-08-06T15:14:28+5:30
Bihar Assembly Elections: विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरणों को साधने में लगे हैं। चुनाव आयोग की तैयारियों और राजनीतिक गठबंधनों की घोषणाओं ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। इस बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने चुनाव से पहले पांच पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर अपने अनुज तेजस्वी यादव के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर दी है। राजद से छह साल के निकाले जाने के बाद तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले पांच पार्टियों-विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया है।
उनके इस कदम ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। इसके साथ ही उनके एक और कदम ने तब खलबली मचा दी जब उन्होंने राजद और कांग्रेस को भी गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि, जिसको जो सोचना है सोचे। जानकार कहते हैं कि तेज प्रताप का यह बयान उनके भाई तेजस्वी यादव और राजद के प्रति उनकी नाराजगी को बता रहा है।
लेकिन, यहां बड़ा सवाल यह है कि पार्टी और परिवार से दूर तेज प्रताप यादव की छटपटाहट दिख रही है, लेकिन क्या वह सही फैसला कर रहे हैं? तेज प्रताप यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजद की मजबूत संगठनात्मक संरचना और तेजस्वी यादव की लोकप्रियता है। राजद का कोर वोट बैंक- यादव, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग तेजस्वी यादव के साथ आज भी मजबूती से जुड़ा दिखता है।
वहीं, तेज प्रताप यादव का नया गठबंधन छोटे दलों के साथ है जिनका बिहार में बहुत ही सीमित प्रभाव है। इसके अतिरिक्त, महुआ में राजद के मौजूदा विधायक मुकेश रौशन के खिलाफ उनके बागी तेवर राजद के भीतर चिंता बढ़ा सकती है। अगर तेज प्रताप निर्दलीय या नई पार्टी से चुनाव लड़ते हैं तो वोटों का बंटवारा राजद को नुकसान पहुंचा सकता है।
लेकिन उनकी जीत की संभावना को लेकर अभी भी कई सवाल हैं। तेज प्रताप ने निषाद नेता प्रदीप निषाद की वीवीआपी पार्टी से गठजोड़ कर निषाद समुदाय को लुभाने की कोशिश की है। प्रदीप निषाद पहले मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई है।
बता दें कि बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 14 फीसदी है जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। तेज प्रताप यादव का यह गठबंधन निषाद वोटों को एकजुट करने की रणनीति हो सकती है, लेकिन तथ्य तो यह है कि मुकेश सहनी की वीआईपी पहले से ही इस समुदाय में मजबूत पकड़ रखती है।
ऐसे में तेज प्रताप यादव का मुकेश सहनी पर सियासी हमला शुरू हो गया है और ‘बहरूपिया’ वाला तंज भी इसी ताकत को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है। ऐसे में तेज प्रताप का यह कदम बिहार की चुनावी रणनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप के इस कदम से राजद के मतों का बंटवारा हो सकता है, जिसका सीधा नुकसान तेजस्वी यादव को हो सकती है। हालांकि वह तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में देखने की बात कहकर परिवार के प्रति निष्ठा भी जताते हैं।
उनका यह दोहरा रवैया उनकी अनिश्चित राजनीतिक रणनीति को जाहिर करता है। कथित प्रेमिका अनुष्का यादव प्रकरण और सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता को भी उनकी छवि बचाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि दरअसल, तेज प्रताप की यह छटपटाहट उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश है।