बिहार विधानसभा चुनावः कई विधायक होंगे बेटिकट, भाजपा, जदयू, कांग्रेस और राजद में हड़कंप, उम्रदराज विधायकों पर संकट, बेटे-बेटियों को आगे करने की कोशिश

By एस पी सिन्हा | Updated: September 17, 2025 14:25 IST2025-09-17T14:24:17+5:302025-09-17T14:25:31+5:30

Bihar Assembly Elections: वरिष्ठ विधायक अपनी उम्मीदवारी बचाने के लिए अपने बेटे-बेटियों को आगे करने की कोशिश में जुट गए हैं।

Bihar Assembly Elections Several MLAs denied tickets panic BJP, JDU, Congress and RJD elderly MLAs in danger | बिहार विधानसभा चुनावः कई विधायक होंगे बेटिकट, भाजपा, जदयू, कांग्रेस और राजद में हड़कंप, उम्रदराज विधायकों पर संकट, बेटे-बेटियों को आगे करने की कोशिश

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Highlightsसीटों पर युवा और ऊर्जावान चेहरों को उतारकर चुनावी समीकरण बदला जा सकता है।भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस के कई विधायकों को पार्टी बेटिकट कर सकती है।कई सत्ताधारी और विपक्षी दलों में बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों की टिकट कटने की आशंका है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दलों के अंदर सीट बंटवारे से लेकर उम्मीदवारों के चयन तक को लेकर माथापच्ची जारी है। इस बीच कई विधायकों के टिकट कटने की भी खबर सामने आ रही है। भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस के कई विधायकों को पार्टी बेटिकट कर सकती है। ऐसे में विधायकों में हड़कंप मचा हुआ है। सभी पार्टी अपने अपने स्तर से नए प्रत्याशियों की तलाश में भी जुटी है। सभी पार्टियों में चर्चा है कि कई सीटों पर युवा और ऊर्जावान चेहरों को उतारकर चुनावी समीकरण बदला जा सकता है।

ऐसे में कई वरिष्ठ विधायक अपनी उम्मीदवारी बचाने के लिए अपने बेटे-बेटियों को आगे करने की कोशिश में जुट गए हैं। दरअसल, चुनाव से पहले सभी दल अपने-अपने विधायकों के कामकाज और सक्रियता की कसौटी पर उन्हें परख रहे हैं। कई सत्ताधारी और विपक्षी दलों में बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों की टिकट कटने की आशंका है।

राजद ने शुरू में अपने लगभग एक-तिहाई विधायकों को बेटिकट करने का मन बना लिया है। तेजस्वी यादव की समीक्षा और सर्वे रिपोर्ट में ढाई दर्जन से अधिक विधायक निष्क्रिय पाए गए। ऐसे में इन विधायकों के टिकट पर संकट बरकरार है। उधर, भाजपा अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार करने में जुट गई है।

पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में बड़े स्तर पर प्रत्याशी बदलने की तैयारी में है। दो मंत्री समेत करीब 15-20 सीटिंग विधायकों का टिकट काटा जा सकता है। इसके साथ ही 2020 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके लगभग 13 उम्मीदवारों को भी दोबारा मौका नहीं मिलेगा। कुल मिलाकर पिछले चुनाव से इस बार के चुनाव में करीब 30 से 35 फीसदी सीटों पर नए चेहरे मैदान में उतारे जा सकते हैं।

इस बार भाजपा ने नए, साफ सुथरे और युवा उम्मीदवारों के सहारे विधानसभा चुनाव में एंटी इंकम्बेंसी को कम करने की रणनीति बनाई है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि इस बार पार्टी ने टिकट कटौती के लिए कई मापदंड तय किए हैं। बिहार में भाजपा के 6 मौजूदा विधायक ऐसे हैं, जिनकी उम्र 70 साल से ऊपर है।

2020 के चुनाव में 6 सीटों पर जीत-हार का अंतर 3,000 वोटों से भी कम रहा, जबकि 8 सीटों पर यह अंतर 2,000 वोट से नीचे था। वहीं, 13 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी 11,000 से अधिक वोटों से हार गए थे। ऐसे मामलों में बदलाव लगभग तय माना जा रहा है। पार्टी युवाओं और महिलाओं को इस बार अधिक हिस्सेदारी देने पर विचार कर रही है।

पार्टी के अंदर यह चर्चा चल रही है कि इस बार नए उम्मीदवारों को मौका दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो उम्र, प्रदर्शन और सक्रियता जैसे मानकों पर ही टिकट का फैसला होगा। पार्टी की स्पष्ट सोच है कि जरूरत के हिसाब से प्रत्याशियों को बदला जाएगा। लेकिन सबके केंद्र में एक ही सोच है, वह जिताऊ उम्मीदवार का चयन है।

यही वजह है कि मौजूदा विधायकों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और एंटी इंकम्बेंसी को तोड़ने के लिए युवा और नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है। भाजपा के द्वारा इस बार प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में बेहद सतर्कता बरत रही है। हर एक विधानसभा सीट से करीब 4-5 संभावित नाम मंगवाए जा रहे हैं।

इन नामों पर राज्य की चुनाव समिति चर्चा कर अंतिम रूप से 2-3 नामों का विकल्प दिल्ली में होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति के पास भेजा भेजेगी। इतना ही नहीं उम्मीदवार तय करने से पहले संगठन सर्वे रिपोर्ट, जिलाध्यक्षों का फीडबैक और पिछले चुनावों के प्रदर्शन जैसे मानकों को तवज्जो देगा। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान इस मुद्दे पर बारीकी से विचार होगा।

पार्टी ने बिहार को पांच जोन में बांटा है और इन्हीं बैठकों में प्रत्याशियों की स्क्रूटिनी को आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह बिहार में लगातार जोनल सांगठनिक बैठक करने जा रहे हैं। इन बैठकों में इलाके की चुनावी गणित और विधानसभा के उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 और 27 सितंबर को पटना में क्षेत्रीय बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।

इसी प्रकार जदयू के पांच-छह विधायकों पर भी गाज गिरने की चर्चा है। पार्टी इन सीटों पर नए चेहरों या स्वजनों को मौका दे सकती है। लोजपा (रामविलास) में भी मटिहानी सीट पर खीझ उतारने की तैयारी है, जबकि वीआईपी के खाते से बचे विधायक पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि वाम दलों और कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायकों पर फिलहाल भरोसा जता रहे हैं।

हालांकि, कांग्रेस के दो-तीन क्षेत्रों को लेकर सहयोगी दलों से खींचतान चल रही है। 2020 के चुनाव में भी राजद ने 18 और जदयू ने 12 विधायकों को टिकट से वंचित किया था, जबकि भाजपा ने आठ विधायकों की छुट्टी की थी। इस बार भी वही तस्वीर दोहराई जा सकती है। जिन विधायकों ने पार्टी नेतृत्व का भरोसा खोया है या पाला बदल लिया है, उन्हें टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है।

वहीं सक्रियता और संगठन में दमखम दिखाने वाले नेताओं के लिए मैदान दोबारा खुला रहेगा। वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम में भी टिकट के बंटवारे को लेकर मंथन जारी है। यहां एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति है। लेकिन मांझी के परिवार में ही आधा दर्जन से अधिक लोग टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं।

वर्तमान में उनके ही परिवार(सगे-संबंधी) के पांच विधायक हैं। ऐसे में इनके टिकट कटने की संभावना न के बराबर है। इसबीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि अभी टिकट पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वहीं, जदयू और राजद के नेताओं का कहना है कि दावेदारी तय करने में उम्मीदवार की जीत की संभावना और कार्यक्षमता पर जोर दिया जाएगा।

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