बिहार विधानसभा चुनावः 30 बीजेपी विधायक होंगे बेटिकट?, पश्चिम-पूर्वी चंपारण के 4 MLA को लेकर फीडबैक सही नहीं, शाह और तावड़े की नजर
By एस पी सिन्हा | Updated: September 30, 2025 15:24 IST2025-09-30T14:50:35+5:302025-09-30T15:24:06+5:30
Bihar Assembly Elections: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित राज्य के कई मंत्रियों को भी उनके क्षेत्र से मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य के दोनों गठबंधनों में एक ओर जहां सीट शेयरिंग को लेकर सांसें अटकी हुई हैं, वहीं, दूसरी ओर सीटिंग विधायकों की सांसें टिकट मिलेगा या कट जाएगा इसको लेकर अटकी हुई है। खासकर एनडीए इस बार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में इस दफा 30 से ज्यादा वर्तमान विधायकों के नाम कट सकते हैं।
इनमें सबसे ज्यादा संख्या चंपारण के इलाके से बताए जा रहे हैं। पश्चिम और पूर्वी चंपारण के 4 विधायकों को लेकर बेहतर फीडबैक नहीं है। वहीं मधुबनी, दरभंगा, गोपालगंज, सारण, वैशाली, भागलपुर, बेगूसराय, पटना और भोजपुर से आने वाले कुछ विधायकों को भी बेटिकट किया जा सकता है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने इस बार चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर सबसे बड़ा फैक्टर 'जीत' को रखा है। उदाहरण के लिए आरा से अमरेन्द्र प्रताप सिंह, बडहरा से राघवेन्द्र प्रताप सिंह, मुंगेर से प्रणव कुमार सिंह, बेगूसराय से कुंदन कुमार सिंह, हाजीपुर, अमनौर, प्राणपुर, परिहार, बेतिया, समस्तीपुर, अररिया और सीमांचल क्षेत्र की कई सीटों पर भाजपा उम्मीदवार बदल सकती है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे विधायक जिनकी उम्र 70 प्लस हो चुकी है और क्षेत्र में उनकी सक्रियता नहीं है तो ऐसे में उनके टिकट पर भी खतरा है।
इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित राज्य के कई मंत्रियों को भी उनके क्षेत्र से मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। बिहार भाजपा कमेटी से इसको लेकर एक सूची भी पार्टी हाईकमान को सौंपा गया है। जिसमें कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी उन विधायकों को दोबारा टिकट नहीं देना चाह रही है, जिनके खिलाफ क्षेत्र में एंटी-इनकंबेंसी है।
सूत्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और एमएलसी को भी चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है। सियासी गलियारे में इस बात की जोरदार चर्चा है कि भाजपा सांसदों वाला प्रयोग बिहार में दोहराने पर विचार कर रही है। इसमें बेगूसराय से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का नाम कुछ सीटों के लिए चर्चा में है।
उनकी आक्रामक हिंदुत्ववादी छवि और मुखर वक्ता के रूप में पहचान उन्हें भाजपा के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। जिन सांसदों-पूर्व सांसदों के नाम की चर्चा सियासी गलियारे में हो रही है, उनमें उजियारपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय का भी नाम है। वे मजबूत ओबीसी नेता हैं। बिहार की राजनीति में उनकी सक्रियता जगजाहिर है।
वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और बेतिया से सांसद संजय जायसवाल भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं। सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी को भी विधानसभा चुनाव में उतारे जाने की चर्चा है। इनके अलावा पूर्व सांसदों में अश्विनी चौबे, रामकृपाल यादव और आरके सिंह के नाम भी तैर रहे हैं। इन पूर्व सांसदों को इस बार विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। हालांकि अभी तक इन नामों पर अंतिम मुहर नहीं लगी है।
लेकिन चुनावी चाणक्य अमित शाह को इस प्रोयग को दोहराने में आपत्ति नहीं है। बता दें कि भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड के विधानसभा चुनावों में कई सांसदों को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि इन सांसदों में से किसी को जीत तो किसी को हार मिली थी। भाजपा विधानसभा सीटों पर पार्टी की स्थिति, जातीय समीकरण और जनाधार के आधार पर उम्मीदवार का चयन करती है।