बिहार: अमित शाह लोकसभा चुनाव की सियासत साधने सितंबर में जाएंगे मुस्लिम बहुल सीमांचल में, जदयू ने कहा, 'इस बार नहीं गलेगी दाल'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 30, 2022 11:01 IST2022-08-30T10:57:00+5:302022-08-30T11:01:18+5:30

भारतीय जनता पार्टी गृहमंत्री अमित शाह की सरपरस्ती में बिहार भाजपा को फिर से सशक्त बनाने के लिए पूरी ताकत लगाने जा रही है। अमित शाह आगामी सितंबर में मुस्लिम बहुल सीमांचल में दो दिनों का दौरा करेंगे।

Bihar: Amit Shah will go to the Muslim-dominated Seemanchal in September to practice the politics of the Lok Sabha, JDU said, 'This time it will not eat pulses' | बिहार: अमित शाह लोकसभा चुनाव की सियासत साधने सितंबर में जाएंगे मुस्लिम बहुल सीमांचल में, जदयू ने कहा, 'इस बार नहीं गलेगी दाल'

फाइल फोटो

Highlightsबिहार भाजपा अमित शाह की अगुवाई नीतीश कुमार के लगाये डेंट से उबरने की कर रही है तैयारी अमित शाह आगामी 23 और 24 सितंबर को सीमांचल का करेंगे दो दिवसीय दौराअमित शाह सीमांचल के जिन इलाके में जाएंगे, वहां मुसलमानों की बड़ी आबादी है

पटना: भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार की जदयू से अलगाव के बाद बिहार में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने में एक बार फिर से लग गई है। जानकारी के मुताबिक भाजपा गृहमंत्री अमित शाह की सरपरस्ती में बिहार भाजपा को सशक्त बनाने के लिए पूरी ताकत लगाने की तैयारी में है।

नीतीश कुमार ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से किनारा करके केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व को जिस तरह का झटका दिया है, अब पार्टी से उससे निकलकर नये सिरे से महागठबंधन को जवाब देने की तैयारी कर रही है।समाचार वेबसाइट द टेलीग्राफ के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आगामी 23-24 सितंबर को सूबे के पूर्वोत्तर छोर पर स्थित सीमांचल का दो दिवसीय दौरे करेंगे।

जदयू से गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह का बिहार में यह पहला दौरा होगा। माना जा रहा है कि शाह का यह दौरा आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस संबंध में प्रदेश भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल ने कहा, “अमित शाह दो दिनों के लिए हमारे राज्य में आ रहे हैं। वह 23 सितंबर को पूर्णिया पहुंचेंगे और एक जनसभा को संबोधित करेंगे। दौरे के दौरान वो किशनगंज भी जाएंगे और केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का जायजा भी लेंगे।"

अमित शाह के बिहार दौरे में भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा और कई केंद्रीय मंत्रियों के भी शामिल होने की संभावना है। भाजपा प्रमुख नड्डा समेत आने वाले केंद्रीय मंत्री बिहार के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे।

बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताया कि अमित शाह सीमांचल क्षेत्र के जिन इलाकों का दौरा करेंगे, उनमें कटिहार, अररिया और किशनगंज जिले शामिल हैं, मुस्लिम बहुल सीमांचल में अमित शाह की यात्रा से कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार इन जिलों में मुस्लिम आबादी 30 से 68 फीसदी के के बीच है।

खबरों के मुताबिक मुस्लिम बहुत इलाकों में अपनी स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ पार्टी अमित शाह के जरिये यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में उसे कोई खास झटका न लगे। बीते लोकसभा चुनाव 2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसमें नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और भाजपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उन्हें 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर जीत हासिल हुई थी।

एनडीए द्वारा हासिक की गई 39 सीटों में से भाजपा के पास 17, जदयू को 16 और दिवंगत रामविलास पासवान की तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीटें मिली थीं। अगर लोकसभा के लिहाज से देखें तो उत्तर प्रदेश में 80, महाराष्ट्र में 48 और बंगाल में 42 सीटों के बाद बिहार लोकसभा सीटों के मामले में चौथा सबसे बड़ा प्रदेश है। इसलिए भाजपा के लिए यह बेहद जरूरी है कि वो नीतीश कुमार के चले जाने के बावजूद बिहार में अपने किले को मजबूत करे क्योंकि बिहार से मिलने वाली सीटों की बदौलत वो अन्य राज्यों के होने वाले संभावित खतरों को कम कर सकती है।

भाजपा नेताओं का भी दबे-छुपे यह मानना है कि नीतीश के महागठबंधन में चले जाने से बिहार का जातीय समीकरण प्रभावित होगा और भाजपा के लिए नीतीश कुमार का जाना घाटे का सौदा हो सकता है। इसलिए भाजपा बिहार में महागठबंधन को भारी खतरे के रूप में देख रही है। यही कारण है कि भाजपा के शीर्ष नेता अब बिहार में हुए डैमेज को कंट्रोल करने में पूरी गंभीरता के साथ लग गया है।

दरअसल भाजपा आलाकमान इस बात को लेकर आशंकित हैं कि बंगाल और और पंजाब जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों में हारने के कारण पार्टी को लोकसभा चुनाव में दिक्कत हो सकती है क्योंकि भाजपा की ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में भी कमजोर स्थिति में है, वहीं कर्नाटक में उसे जेडीएस और कांग्रेस से भारी चुनौती मिलने के आसार हैं।

अमित शाह की संभावित बिहार यात्रा के विषय में प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का कहना है कि अमित शाह धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण को उभारने के लिए बिहार का दौरा कर सकते हैं। शाह के दौरे के संदर्भ में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "अमित शाह सीमांचल के जिन इलाके में जाएंगे, वहां मुसलमानों की एक बड़ी आबादी है। उन्होंने जानबूझकर ऐसी जगह को चुना है ताकि वो धर्म के नाम पर मतदाताओं को गोलबंद कर सकें और वो ऐसा करने में माहिर भी हैं, लेकिन बिहार के लोग उन्हें समझ गए हैं और सभी लोग सांप्रदायिक सद्भाव के साथ खड़े होकर उनकी सियासत का विरोध करेंगे।"

उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को अपनी पार्टी की हकीकत जनता के सामने रखनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि सत्ता के लिए कैसे उन्होंने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को उभारा, बिहार में आरसीपी सिंह के कंधे पर बंदूक रखे हुए थे। कुशवाहा ने कहा, "शाह बिहार की जनता को बताएं कि भाजपा क्षेत्रीय दलों के साथ कैसे विश्वासघात करती है। किस तरह से वो सिर्फ सत्ता के लालच में जदयू की पीठ में छुरा घोंप रहे थे।"

उपेंद्र कुशवाहा के अलावा जदयू एमएलसी और प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, "बिहार में लंबे समय से गठबंधन में रहे भाजपा औऱ जदयू के बीच अब कोई सम्मान नहीं बचा है, अमित शाह जी इसका कारण अच्छे से जानते हैं। बिहार आ रहे हैं, उनका स्वागत है लेकिन बिहार की जनता लोकसभा चुनाव में अपना संदेश अच्छे से देगी, इस बात को वो याद रखें"

मालूम हो कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लोकसभा की कुल 545 लोकसभा सीटों में से 303 पर जीत हासिल की थी। साल 1980 में गठित इस पार्टी का सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रदर्शन है।

Web Title: Bihar: Amit Shah will go to the Muslim-dominated Seemanchal in September to practice the politics of the Lok Sabha, JDU said, 'This time it will not eat pulses'

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे