Bihar: कैग रिपोर्ट में करीब 70 हजार करोड़ का हिसाब नहीं मिलने के बाद वित्त विभाग ने 3 विभागों के वित्तीय संचालन पर लगाई रोक
By एस पी सिन्हा | Updated: July 31, 2025 15:50 IST2025-07-31T15:50:33+5:302025-07-31T15:50:44+5:30
वित्त विभाग ने पंचायती राज, नगर विकास और शिक्षा विभाग के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। बता दें कि सबसे अधिक बकाया पंचायती राज विभाग पर है। वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि जब तक ये तीनों विभाग पिछला हिसाब नहीं दे देते ये आगे धन निकासी नहीं कर सकेंगे।

Bihar: कैग रिपोर्ट में करीब 70 हजार करोड़ का हिसाब नहीं मिलने के बाद वित्त विभाग ने 3 विभागों के वित्तीय संचालन पर लगाई रोक
पटना: कैग रिपोर्ट में करीब 70 हजार करोड़ का हिसाब नहीं मिलने को लेकर उठाए गए सवाल के बाद अब इस मामले में नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। नीतीश सरकार ने 3 बड़े विभाग के वित्तीय संचालन पर रोक लगा दी है। वित्त विभाग ने पंचायती राज, नगर विकास और शिक्षा विभाग के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। बता दें कि सबसे अधिक बकाया पंचायती राज विभाग पर है। वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि जब तक ये तीनों विभाग पिछला हिसाब नहीं दे देते ये आगे धन निकासी नहीं कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) और 9,205.76 करोड़ रुपये के आकस्मिक व्यय (एसी बिल) के बदले कोई विस्तृत लेखा (डीसी बिल) प्रस्तुत नहीं किया गया है।
वहीं इस अनियमितता को गंभीरता से लेते हुए राज्य वित्त विभाग ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे इन राशि का विस्तृत हिसाब बिहार के महालेखाकार कार्यालय को शीघ्र उपलब्ध कराएं। साथ ही पंचायती राज, नगर विकास व आवास और शिक्षा विभाग की निकासी पर आंशिक रोक लगा दी गई है। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि जब तक पिछली निकासी का पूरा लेखा-जोखा जमा नहीं किया जाता तब तक इन विभागों को कोषागार या बैंक खातों से कोई नई निकासी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
फिलहाल सबसे ज्यादा बकाया पंचायती राज, शिक्षा और नगर विकास विभाग पर है। दरअसल 31 मार्च 2024 तक पंचायती राज विभाग पर ₹28,154.10 करोड़ के खर्चे का विवरण अनुपलब्ध है। जबकि शिक्षा विभाग पर ₹12,623.67 करोड़, नगर विकास व आवास पर ₹11,065.50 करोड़, ग्रामीण विकास पर ₹7,800.48, कृषि विभाग पर ₹2,107.63 करोड़, अजा-जजा कल्याण विभाग ₹1,397.43 करोड़, समाज कल्याण विभाग पर ₹941.92 करोड़, पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग पर ₹911.08 करोड़, स्वास्थ्य विभाग पर ₹860.33 करोड़ रुपये, जबकि सहकारिता विभाग से आंकड़े प्राप्त नहीं हो सके हैं।
वित्त विभाग ने बताया कि हर वित्तीय वर्ष में एसी और सहायक अनुदान विपत्रों पर निकासी के बाद उनका समायोजन 18 माह के भीतर अनिवार्य होता है। तय समय में लेखा नहीं देने पर वित्त विभाग को हस्तक्षेप करना पड़ता है। बता दें कि 70 हजार करोड़ रुपए के हिसाब ना मिलने से विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है। विपक्ष की ओर से पोस्टर जारी कर बड़ा हमला बोला जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इसे 70 हजार करोड़ का घोटाला बता रहे हैं। यूसी- यह प्रमाण-पत्र होता है कि दी गई राशि का सही तरीके से उपयोग हुआ। एसी- आकस्मिक खर्च के लिए एडवांस में निकाली गई राशि। डीसी -एसी बिल के खर्च का विस्तृत विवरण।