बिहार: कोरोना का खौफ पटना के अस्पताल में एक युवक की आत्महत्या, जांच में हुआ खुलासा
By एस पी सिन्हा | Updated: May 28, 2020 15:46 IST2020-05-28T15:46:32+5:302020-05-28T15:46:32+5:30
पुलिस के अनुसार खगड़िया का मूल निवासी सुबोध पटना के सचिवालय थाना क्षेत्र में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था. वह घूम-घूमकर बच्चों को ट्यूशन पढाता था. शादी नहीं हुई थी इस कारण से वह घर वालों से दूर रहता था और किसी से कोई मतलब भी नहीं रखता था.

पटना में रहने वाला सुबोध लॉकडाउन के बाद कोरोना के लक्षण से डरकर हार गया था और डरकर उसने अपनी जान दे दी.
पटना: बिहार में कोरोना का खौफ का हाल यह है कि कोरोना के संभावित संक्रमण के डर से अब लोग आत्महत्या तक करने लगे हैं. राज्य में ऐसी कई खबरें सामने आ जा रही हैं, कभी किसी क्वारंटाइन सेंटर से तो कभी आईसोलेशन सेंटर से जहां कोरोना के संभावित संक्रमण के डर से लोग आत्महत्या तक कर लेने का कदम उठा ले रहे हैं. अभी इसी तरह का मामला राजधानी पटना में सामने आया, जिसमें एक युवक ने अस्पताल परिसर में हीं अपनी जीवन की इहलीला समाप्त कर ली. पटना में रहने वाला सुबोध लॉकडाउन के बाद कोरोना के लक्षण से डरकर हार गया था और डरकर उसने अपनी जान दे दी.
बताया जाता है कि सुबोध को जब सर्दी खांसी और बुखार की समस्या हुई तो वह मान बैठा कि उसे कोरोना हो गया और कोरोना से अब जान नहीं बचेगी. ऐसी फिजूल की बातों से वह अवसाद में आ गया और अंत में फंदे पर लटक गया. पुलिस की जांच पड़ताल में यह खुलासा हुआ है. पुलिस की जांच में यह भी बात सामने आई है कि वह लॉकडाउन में काफी परेशान था. पुलिस के अनुसार खगड़िया का मूल निवासी सुबोध पटना के सचिवालय थाना क्षेत्र में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था. वह घूम-घूमकर बच्चों को ट्यूशन पढाता था. शादी नहीं हुई थी इस कारण से वह घर वालों से दूर रहता था और किसी से कोई मतलब भी नहीं रखता था.
लॉकडाउन हुआ तो वह काफी परेशान हो गया. इस दौरान पैसा भी आना बंद हो गया और हर वक्त कोरोना का खतरा सताने लगा. इसी बीच उसके अंदर सर्दी, खांसी और बुखार हो गया. यह कोरोना का संदिग्ध लक्षण था, लेकिन उसे लगा कि कोरोना हो गया. जब उसे पटना मेडिकल कॉलेज में कोरोना के गुजरी वार्ड में भर्ती किया गया और जांच के लिए नमूना भेजा गया तो उसे लगा कि अब खतरा हो सकता है. वह पढा लिखा था, लेकिन कोरोना को लेकर इतना जागरुक नहीं था. वह कोरोना के अफवाहों में रह गया और अंत में संदिग्ध मरीजों के साथ भर्ती होने पर पर उसके अंदर नकारात्मक भाव आने लगे, इस कारण से वह सुसाइड कर लिया. बाद में जब कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आई तो हर कोई दंग रहा गया.
इसतरह से वह जिस संक्रमण से डरा था वह उसके अंदर था भी नहीं, लेकिन खौफ ने उसकी जान ले ली. वायरस को लेकर लोगों में डर बैठ गया है जबकि डॉक्टर कहते हैं सर्दी खांसी बुखार कोरोना नहीं है. किसी को भी ऐसे लक्षण हैं तो उसकी जांच कराए, अगर कोरोना का वायरस भी है तो वह ठीक हो रहा है. वहीं, मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जिसे संदिग्ध माना जा रहा है वह समाज से कट जाता है. ऐसे में आसपास के लोगों का नजरिया बदल जा रहा है. बाहर से आने वाला भी जब घर आता है तो परिवार वालों का व्यवहार बड़ा असर डालता है. हमेशा कोरोना के बारे में सुनने के बाद लोग डर में होते हैं. अपनी बातों को इंसान शेयर नहीं कर पाते हैं. इस कारण से भी घटनाएं हो रही हैं. ऐसे में जागरुकता बहुत जरुरी है. क्वारंटाइन सेंटर में भी जागरुकता का काम करना चाहिए. अच्छा खाना, दिनचर्या ठीक किया जाए इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. प्रतिदिन की एक्टिविटी होनी चाहिए. इंसान आम लोगों से कटने न पाए इसपर विशेष जोर देना होगा. घर वालों का भी संदिग्ध मरीजों को पूरा सहयोग होना चाहिए.