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Coronavirus: लॉकडाउन के बीच BHU ने सात जिलों में लगवाई गिलोय की 600 नर्सरी

By भाषा | Updated: May 7, 2020 20:40 IST

काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने कोरोना वायरस के मद्देनजर देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के वाराणसी और मिर्जापुर मंडल के सात जिलों में गिलोय की नर्सरी लगवाई है।

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ठळक मुद्देगिलोय को लेकर मुंबई के केईएम हास्पिटल में 1990-91 में अनुसंधान हो चुका है।लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाएगा कि वे गिलोय का छह इंच डंठल तोड़कर उसका काढ़ा बनाएं और प्रतिदिन सुबह इसका सेवन करें ताकि उनका इम्यून सिस्टम मजबूत बने।

प्रयागराज: कोरोना वायरस के मद्देनजर देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के वाराणसी और मिर्जापुर मंडल के सात जिलों में गिलोय की नर्सरी लगवाई है। वाराणसी मंडल के चार जिलों- वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली और मिर्जापुर मंडल के तीन जिलों- मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही में ये नर्सरी लगवाई गई हैं। 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय के डीन और उत्तर प्रदेश में गिलोय मिशन के परियोजना संयोजक डाक्टर वाई.बी. त्रिपाठी ने पीटीआई भाषा को फोन पर बताया, “हमने लॉकडाउन के दौरान सात जिलों में गिलोय की 600 नर्सरी लगवाई है।” 

उन्होंने बताया, “प्रदेश में दो महीने से यह परियोजना चल रही है.. इसी लॉकडाउन के दौरान गिलोय की नर्सरी लगवाई गई। घर बैठे 500 किसानों से संपर्क कर उन्हें नर्सरी लगाने के लिए प्रेरित किया गया। लॉकडाउन खुलने पर सभाएं की जाएंगी, गिलोय के गुणों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाएगा और दो लाख गिलोय के पौधों का निःशुल्क वितरण किया जाएगा। ” 

प्रयागराज में जड़ी बूटियों पर अनुसंधान कर रहे ‘आयुष रिसर्च सेंटर एंड हास्पिटल’ के आयुर्वेदाचार्य डाक्टर नरेंद्र नाथ केसरवानी ने बताया, “गिलोय में तीन प्रकार के एल्केलाइड- गिलोइनिन, ग्लूकोसाइड और बरबेरिन पाए जाते हैं जो श्वेत रक्त कणिकाओं (डब्लूबीसी) को बढ़ाते हैं और अधिक संख्या में डब्लूबीसी, शरीर की कोशिकाओं की रक्षा करते हैं और नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। इसीलिए गिलोय को इम्यूनो बूस्टर भी कहा जाता है।” 

त्रिपाठी ने बताया कि यदि यह प्रयोग सफल रहा तो और जिलों को इस परियोजना के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गिलोय को लेकर मुंबई के केईएम हास्पिटल में 1990-91 में अनुसंधान हो चुका है। गिलोय में बहुत से गुण हैं.. यह किडनी को ठीक रखता है, बुखार को दूर करता है। इसलिए गिलोय को अमृता कहा जाता है। 

उन्होंने कहा कि आंवले की तरह ही गिलोय या गुडुच भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत मजबूत करता है और इसकी लता आसानी से कहीं भी लग जाती है। लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाएगा कि वे गिलोय का छह इंच डंठल तोड़कर उसका काढ़ा बनाएं और प्रतिदिन सुबह इसका सेवन करें ताकि उनका इम्यून सिस्टम मजबूत बने।

टॅग्स :कोरोना वायरसबनारस हिंदू विश्वविद्यालय
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