भोपाल गैस त्रासदी 20वीं सदी की ‘‘सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं’’ में से एक: रिपोर्ट

By भाषा | Published: April 21, 2019 05:48 AM2019-04-21T05:48:07+5:302019-04-21T05:48:07+5:30

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश की राजधानी में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से निकली कम से कम 30 टन मिथाइल आइसोसायनेट गैस से 600,000 से ज्यादा मजदूर और आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हुए थे। इसमें कहा गया है कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार 15,000 मौतें हुई।

Bhopal Gas Tragedy One of the "biggest industrial accidents" of the 20th century: Report | भोपाल गैस त्रासदी 20वीं सदी की ‘‘सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं’’ में से एक: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 प्रतिशत कामगार बेहद लंबे घंटों तक काम कर रहे हैं मतलब कि हर सप्ताह 48 घंटे से ज्यादा।

Highlightsसाल 1919 के बाद अन्य नौ बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में चेर्नोबिल और फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के साथ ही राणा प्लाजा इमारत ढहने की घटना शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल पेशे से जुड़ी मौतों की वजह तनाव, काम के लंबे घंटे और बीमारियां है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाली 1984 की भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की ‘‘सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं’’ में से एक है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि हर साल पेशे से जुड़ी दुर्घटनाओं और काम के चलते हुई बीमारियों से 27.8 लाख कामगारों की मौत हो जाती है।

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश की राजधानी में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से निकली कम से कम 30 टन मिथाइल आइसोसायनेट गैस से 600,000 से ज्यादा मजदूर और आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हुए थे। इसमें कहा गया है कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार 15,000 मौतें हुई।

जहरीले कण अब भी मौजूद हैं और हजारों पीड़ित तथा उनकी अगली पीढ़ियां श्वसन संबंधित बीमारियों से जूझ रही है तथा उनके अंदरुनी अंगों एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1919 के बाद भोपाल त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी।

साल 1919 के बाद अन्य नौ बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में चेर्नोबिल और फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के साथ ही राणा प्लाजा इमारत ढहने की घटना शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल पेशे से जुड़ी मौतों की वजह तनाव, काम के लंबे घंटे और बीमारियां है। आईएलओ की मनाल अज्जी ने यूएन न्यूज से कहा, ‘‘रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 प्रतिशत कामगार बेहद लंबे घंटों तक काम कर रहे हैं मतलब कि हर सप्ताह 48 घंटे से ज्यादा।’’ 

Web Title: Bhopal Gas Tragedy One of the "biggest industrial accidents" of the 20th century: Report

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