पुणे की अदालत ने वरवर राव, वरनान गोन्साल्विस और अरुण परेरिया को भेजा घर, 5 सितंबर तक रहेंगे नजरबंद
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 29, 2018 20:19 IST2018-08-29T20:17:28+5:302018-08-29T20:19:49+5:30
महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, वरनान गोन्साल्विस और अरुण फरेरिया को गिरफ्तार किया।

सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा (ऊपर) पहले से ही पुलिस हिरासत में थे। (फाइल फोटो)
पुणे, 29 अगस्त: स्थानीय अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा भीमा कोरेगाँव हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार किये गये एक्टविस्ट वरवर राव, वरनान गोन्साल्विस और अरुण फरेरिया को घर वापस भेजने का आदेश दिया है।
पुणे की स्थानीय अदालत ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के बुधवार (29 अगस्त) के उस फैसले के आलोक में दिया जिसमें सर्वोच्च अदालत ने सभी पाँच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
सर्वोच्च अदालत ने सभी एक्टविस्टों को छह सितम्बर को मामले की अगली सुनवाई तक सभी एक्टिविस्टों को नजरबंदी में रखने का आदेश दिया है।
महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगाँव की बरसी पर एक जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के पुणे में हुई हिंसा के मामले में मंगलवार को देश के छह शहरों में 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा।
पुलिस ने गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, वरनान गोन्साल्विस और अरुण फरेरिया को गिरफ्तार किया।
गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज के ट्रांजिट रिमाण्ड पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (28 अगस्त) को बुधवार तक के लिए रोक लगा दी थी।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे, देवकी जैन और मजा दारूवाला ने याचिका दायर करके सभी अभियुक्तों को रिहा किए जाने की माँग की।
याचिका पर सुनवाई करते हुे सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार से पाँच सितम्बर तक मामले में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।