भीमा कोरेगांवः 200 साल पुराने युद्ध के जश्न पर हिंसा, दलित समूहों ने किया महाराष्ट्र बंद का ऐलान
By रामदीप मिश्रा | Updated: January 2, 2018 17:52 IST2018-01-02T17:12:54+5:302018-01-02T17:52:40+5:30
भीमा-कोरेगांव लड़ाई की बरसी पर उपजी हिंसा का असर महाराष्ट्र के पुणे सहित कई इलाकों में फैल गया।

Bhima Koregaon
महाराष्ट्र के पुणे जिले में 200 साल पहले हुई भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की बरसी पर सोमवार (एक जनवरी) को आयोजित कार्यक्रम में हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो गई और कई घायल हो गये। इस हिंसा में उपद्रवियों ने कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की और कई को आग के हवाले कर दिया। हिंसा का असर महाराष्ट्र के पुणे सहित कई इलाकों में फैल गया और मुंबई में मंगलवार को दलित संगठन से जुड़े लोगों ने पुणे हिंसा को लेकर 'रास्ता रोको' प्रदर्शन किया। दलित प्रदर्शनकारी इस घटना के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इस हिंसा को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें। साथ ही कोरेगांव हिंसा की न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी जाएगी और मौत के मामले में सीआईडी जांच होगी।
हिंसा के विरोध में आठ दलित संगठनों ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद की घोषणा की है। साथ ही मुंबई के थाणे में रिपब्लिकन पार्टी और इंडिया के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर 100 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है और पुणे ग्रामीण व औरंगाबाद के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है।
यह विवाद बवाल सोमवार को पुणे-अहमदनगर हाइवे पर पेरने फाटा के पास हुआ, जो पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर है। इस घटना के बारे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग इकट्ठा हुए थे। इसके लिए व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए हमने पुलिस की छह कंपनियां को तैनात किया था।
Maharashtra: Violence between two groups during an event to mark 200 years of the Bhima Koregaon battle near Pune yesterday, vehicles set on fire pic.twitter.com/5RpITAK4qB
— ANI (@ANI) January 2, 2018
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में का माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ लोगों ने माहौल हिंसा फैलाई। इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, हिंसा में मारे गए मृतक युवक के परिजनों को राज्य सरकार ने 10 लाख रुपए देने का ऐलान किया।
कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा गुट के बीच हुई थी, जोकि कोरेगांव भीमा में लड़ी गई थी। भीमा कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी। यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी। इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को पराजित किया था, इस जीत का जश्न दलित नेता मनाते हैं क्योंकि इतिहास के मुताबिक ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से महार समुदाय के सैनिकों ने युद्द लड़ा था।
इस लड़ाई की खास बात यह रही थी इसमें अंग्रेजों की तरफ 5०० सैनिक थे, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे। लेकिन मात्र 500 सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था। अंग्रेजों ने इस लड़ाई में महार सैनिकों की वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया था। उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया गया, जिस पर युद्ध में मारे गये महारों के नाम लिखे हैं।