भीमा कोरेगांव हिंसा में संभाजी ‌भिडे पर लगे आरोपों को मामूली मानती है फडणवीस सरकार, केस लिया वापस

By जनार्दन पाण्डेय | Published: October 1, 2018 12:17 PM2018-10-01T12:17:58+5:302018-10-01T12:19:03+5:30

आरटीआई से मिली जानकारी में बताया गया कि जून 2017 से 14 सितंबर 2018 के बीच महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के कुल 41 मामले वापस लिए हैं। इसके बाबत सरकार को कुल आठ फैसले लेने पड़े। इनमें अन्यान्य मामलों में करीब हजारों आरोपियों से केस वापस लिए गए।

Bhima Koregaon Case: Maharashtra Govt withdraw case against sambhaji bhide and others | भीमा कोरेगांव हिंसा में संभाजी ‌भिडे पर लगे आरोपों को मामूली मानती है फडणवीस सरकार, केस लिया वापस

संभाजी भिडे की फाइल फोटो

पुणे, 1 अक्टूबरः महाराष्ट्र के पुणे से सटे भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा मामले में आरोपी संभाजी भिडे समेत सैकड़ों आरोपियों से केस वापस होने जा रहा है। सामाचार एजेंसी एएनआई ने पुणे के एसपी संदीप पाटिल के हवाले से यह जानकारी दी है कि मामले में संभाजी भिडे व अन्य पर किसी तरह का मामला दर्ज नहीं होगा। सभी पर लगे आरोपों के मामले को वापस ले लिया जाएगा।

हालांकि पुणे एसपी संदीप पाटिल ने यह भी कहा है कि मामले की छानबीन अभी भी जारी है। लेकिन संभाजी भिडे और 100 से अधिक उन नेताओं पर से केस वापस लिया जा रहा है जिन पर दंगे भड़काने समेत कई आपराधिक मामले दर्ज कराए गए थे।

आज तक की एक खबर के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहम शेख ने गृह विभाग से मामले पर जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में सूचना अधिकारी प्रज्ञा घाटे ने कुछ जानकारियां साझा की हैं। इनमें प्रमुख जानकारी यह है कि राज्य सरकार को फौजदारी प्रक्रिया दंड संहिता की धारा 321 का उल्लेख है। बताया गया है कि इसके तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी शख्‍सियत पर से मामूली किस्म के अपराधों के मामलों को वापस ले सकती है।

इसी के तहत जून 2017 में कोरेगांव में भड़की हिंसा मामले में संभाजी भिडे और उनके साथ‌ियो पर दर्ज कराए गए तीन मामले वापस कर ले लिए गए हैं। उल्‍लेखनीय है इसी मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले महीने दिल्ली-झारखंड समेत कई राज्यों में छापेमारी कर पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को हाउस-अरेस्ट किया गया था। वे फिलहाल नजरबंद हैं।

कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने नहीं लिया था एक भी केस वापस

बताया गया कि सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिंसा से एक दिन पहले वहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। जिससे हिंसा के कई तार जुड़े हुए हैं। जबकि संभाजी भिडे पर भी दंगे के दौरान हिंसा भड़काने के मामले दर्ज हुए थे। संभाजी भिडे भी एक सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत रखते हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके कामों की सराहना करते हैं। एक रैली में उन्होंने संभाजी भिडे के बारे में कहा था कि उक्त स्‍थान पर वह संभाजी भिडे के बुलाने पर ही पहुंचे हैं।


आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार साल 2008 से 2014 के बीच महाराष्ट्र की कांग्रेस व नेशनिलस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सरकार ने एक भी केस वापस नहीं लिए थे। लेकिन साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र में सरकार बनी। आरटीआई से मिली जानकारी में बताया गया कि जून 2017 से 14 सितंबर 2018 के बीच महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के कुल 41 मामले वापस लिए हैं। इसके बाबत सरकार को कुल आठ फैसले लेने पड़े। इनमें अन्यान्य मामलों में करीब हजारों आरोपियों से केस वापस लिए गए।

इन प्रमुख नेताओं को फडणवीस सरकार ने दी क्लीन चिट, कई मामलों में थे आरोपी

1) संजय घाटगे (पूर्व बीजेपी व शिवसेना नेता)
2) राजू शेट्टी और अन्य (सांसद शेतकरी पक्ष)
3) प्रशांत ठाकुर ( बीजेपी आमदार और सिड्को अध्यक्ष)
4) संजय (बाला) भेड्गे (बीजेपी नेता)
5) अभय छाजेड (कांग्रेस नेता)
6) किरन पावसकर (एमएलसी एनसीपी)

आरटीआई कार्यकर्ता शेख ने इन मामलों में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इन मामलों के वापस लेने की फैसले को रद्द करने की मांग की है।

Web Title: Bhima Koregaon Case: Maharashtra Govt withdraw case against sambhaji bhide and others

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