भीमा कोरेगांव मामला: न्यायालय ने नवलखा और तेलतुम्बडे की अंतरिम संरक्षण की अवधि 16 मार्च तक बढ़ाई

By भाषा | Updated: March 6, 2020 20:51 IST2020-03-06T20:51:26+5:302020-03-06T20:51:26+5:30

नवलखा, तेलतुम्बडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस ने माओवादियों के साथ उनके कथित संपर्को और एक जनवरी, 2018 को पुणे के कोरेगांव भीमा गांव में हुयी हिंसा की घटना को लेकर मामला दर्ज किया था। इन सभी आरोपियों ने सारे आरोपों से इंकार किया है।

Bhima Koregaon case: Court extends Navalakha and Teltumbde s interim protection till March 16 | भीमा कोरेगांव मामला: न्यायालय ने नवलखा और तेलतुम्बडे की अंतरिम संरक्षण की अवधि 16 मार्च तक बढ़ाई

भीमा कोरेगांव मामले में न्यायालय ने नवलखा और तेलतुम्बडे की अंतरिम संरक्षण की अवधि 16 मार्च तक बढ़ाई

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं-गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे को प्राप्त गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की अवधि शुक्रवार को 16 मार्च तक के लिये बढ़ा दी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर 16 मार्च को सुनवाई की जायेगी। उच्च न्यायालय ने 14 फरवरी को दोनों कार्यकर्ताओं की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुये उन्हें गिरफ्तारी से प्राप्त अंतरिम संरक्षण की अवधि चार सप्ताह के लिये बढ़ा दी थी ताकि वे शीर्ष अदालत जा सकें।

इन कार्यकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल और अभिषेक सिघंवी ने पीठ को सूचित किया कि उच्च न्यायालय द्वारा दी गयी अंतरिम संरक्षण की अवधि 14 मार्च को खत्म हो रही है, इसलिए शीर्ष अदालत को यह अवधि बढ़ानी चाहिए। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) को सौंप दी गयी है। सिंघवी ने कहा, ‘‘हमें ऐसी कोई नोटिस नहीं मिली है।’’ इस पर पीठ ने सिब्बल और सिंघवी से कहा कि वे इस मामले में एनआईए को एक पक्षकार बना सकते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले को 16 मार्च को सूचीबद्ध कर रहे हैं।’’ उच्च न्यायालय ने दोनों कार्यकर्ताओं की याचिका खारिज करते हुये कहा था कि इस मामले में पेश साक्ष्य पहली नजर में दोनों आरोपियों की भूमिका दर्शाते हैं।

न्यायालय ने आरोपियों के बीच हुये कथित पत्राचार के अवलोकन के बाद इस तथ्य का संज्ञान लिया कि नवलखा, तेलतुम्बडे और सुरेन्द्र गाडलिंग, रोना विल्सन और सुधा भारद्वाज जैसे अन्य आरोपी व्यक्तियों के बीच सीधी पहुंच थी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केन्द्रीय समिति के सदस्यों के साथ संपर्क था। नवलखा, तेलतुम्बडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस ने माओवादियों के साथ उनके कथित संपर्को और एक जनवरी, 2018 को पुणे के कोरेगांव भीमा गांव में हुयी हिंसा की घटना को लेकर मामला दर्ज किया था। इन सभी आरोपियों ने सारे आरोपों से इंकार किया है।

पुणे पुलिस के अनुसार 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित ऐलगार परिषद की बैठक में ‘भड़काऊ’ और ‘उत्तेजित करने वाले’ बयान दिये गये थे। इसके बाद ही अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी। पुलिस का आरोप है कि ऐलगार परिषद की बैठक को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।

Web Title: Bhima Koregaon case: Court extends Navalakha and Teltumbde s interim protection till March 16

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