नई दिल्ली, 10 अप्रैलः एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को दलितों ने 'भारत बंद' किया था, जिसके खिलाफ में आज सवर्णों की तरफ से कथित 'भारत बंद' का ऐलान किया गया। यह भारत बंद को सोशल मीडिया के जरिए बुलाया गया है और कोई एक संगठन या नेता इसकी अगुवाई नहीं कर रहा है। पिछले दो अप्रैल को हुए भारत बंद के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। यह हिंसा एमपी, यूपी राजस्थान समेत कई जगहों पर जमकर हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई घायल हो गए थे। इसी को देखते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट कर दिया है।
-बिहार के गया में प्रदर्शन कर रही भीड़ हिंसक हो गई। मामला बढ़ता देख पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया, जिसके बाद मामला शांत हुआ
-राजस्थान के झालावाड़ में बाजार पूरी तरह बंद रहे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों मे बाइक रैली निकाली।
-भारत बंद का उत्तर प्रदेश के मेरठ में कोई असर नहीं देखा गया है। यहां यातायात सामान्य रूप से चल रहा है।
अपने अलर्ट में गृह मंत्रालय ने कहा है कि किसी भी इलाके में होने वाली हिंसा के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जिम्मेदार होंगे। बंद के आवाह्न को देखते हुए मध्य प्रदेश प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। मध्य प्रदेश के भिंड में कर्फ्यू लगा है, इंटरनेट सेवा पर भी रोक लगाई गई है। एमपी के कई जिले में धारा 144 लागू है। दलितों के बंद के दौरान भिंड, मुरैना और ग्वालियर में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी।
राजस्थान के कई शहरों में धारा 144 लागू
इसके अलावा राजस्थान की राजधानी जयपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। आधी रात से इंटरनेट सेवा बंद पर रोक लगा दी गई है। वहीं, भरतपुर में भी धारा 144 लागू की गई है और 9 बजे से इंटरनेट सेवाएं बद कर दी जाएंगी। साथ ही साथ बंद की वजह से ज्यादातर स्कूल नहीं खुलेंगे। इसके अलावा झालावाड़ में बंद को प्रशासन ने भ्रामक बताया है। अलवर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
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यूपी में भी बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
इधर, हाईअलर्ट जारी होने के बाद उत्तरप्रदेश के मेरठ जोन के 6 जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। गाजियाबाद, इलाहाबाद में धारा 144 लागू है, तो वहीं सहारनपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। फिरोजाबाद में पहली से 9वीं कक्षा तक के स्कूल को बंद किया गया है।
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर कसेगा शिकंजा
इसी प्रकार सोशल मीडिया व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्वीटर के माध्यम से धार्मिक, जातीय विद्वेश फैलाने वाले संदेश पोस्ट करने, लाइक करने एवं फारवर्ड करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध भी कार्रवाई करने के आदेश दिये गये है। जो कोई भी व्यक्ति धारा-144 का उल्लंधन करेगा या सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में अशांति फैलाने का कार्य करेगा उसके विरूद्ध भादंवि की धारा-188 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जायेगा।
क्या है पूरा मामला?
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में एक फैसला सुनाते हुए तत्कार गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आवाह्न किया। बंद के दौरान हिंसा में एक दर्जन लोगों की मौत हो गई। 2 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर पोस्ट और संदेश वायरल हो रहे हैं जिसमें आरक्षण विरोधी संगठन भारत बंद का आवाह्न कर रहे हैं।