भाभा परमाणु रिसर्च केंद्र ( बीएआरसी) ने देश के एक लाख ऐसे गांवों में स्वच्छ जल देने की योजना तैयार की है, जहां पर जल दूषित है या फिर उसमें आर्सेनिक का प्रभाव है. इसके लिए उसने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के स्वायत्त निकाय कॉमन सर्विस सेंटर ( सीएससी) के साथ करार किया है.
पहले चरण में 50 गांवों में परीक्षण किया जाएगा. उसके उपरांत 50 हजार गांवों में स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का कार्य किया जाएगा. बाद में शेष पचास हजार गांवों को भी साफ पानी देने के लिए कदम उठाए जाएंगे. कॉमन सर्विस सेंटर को यह दायित्व दिया जाएगा कि वह बीएआरसी की तकनीक से इन गांवों में भूमिगत जल को जनता तक पहुंचाने का कार्य करे. उन फिल्टरों का प्रयोग करें, जिससे पानी पूरी तरह से स्वच्छ होकर जनता तक पहुंचे. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी को 2024 तक स्वच्छ जल देने की नीति का हिस्सा होगी.
इसके लिए पूर्ण रूप से भारतीय तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इस तकनीक के तहत हर गांव में करीब 4 लाख रूपए के फिल्टर लगाए जाएंगे, जिससे पानी पूरी तरह से साफ होकर आएगा. कॉमन सर्विस सेंटर चलाने वाले ग्रामीण उद्यमी उसे फिर जनता तक पहुंचाएंगे. जहां पर बिजली उपलब्ध नहीं होगी वहां पर सोलर-सौर ऊर्जा तकनीक का उपयोग कर इस तकनीक को प्रयोग में लाया जाएगा.