विधानसभा चुनाव से पहले EC ने उम्मीदवारों की खर्च सीमा बढ़ाई, लोकसभा में 90 लाख तो विधानसभा में 40 लाख खर्च कर सकेंगे प्रत्याशी
By अनिल शर्मा | Published: January 7, 2022 08:22 AM2022-01-07T08:22:01+5:302022-01-07T08:42:06+5:30
चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट में कहा कि विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा बढ़ा दी गई है।
नई दिल्लीः पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने गुरुवार को उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा बढ़ा दी। लोकसभा और विधानसभा दोनों क्षेत्रों के लिए चुनाव प्रचार में खर्च की सीमा बढ़ा दी गई है और संशोधित सीमा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में आगामी राज्य चुनावों में लागू होगी।
चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट में कहा कि विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा बड़े राज्यों में 28 लाख रुपये से बढ़ाकर 40 लाख रुपये और छोटे राज्यों में 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 28 लाख रुपये कर दी गई है।
संसदीय क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के खर्च की सीमा 54-70 लाख रुपए से बढ़ाकर 75-90 लाख रुपए की गई है। विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के खर्च की सीमा 20-28 लाख रुपए से बढ़ाकर 28-40 लाख रुपए की गई है: भारत निर्वाचन आयोग pic.twitter.com/GlNup9HlUd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 7, 2022
वहीं लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के मामले में यह सीमा बड़े राज्यों में 70 लाख रुपये से बढ़ाकर 95 लाख रुपये और छोटे राज्यों में 54 लाख रुपये से 75 लाख रुपये कर दी गई है।
चुनाव आयोग ने अपने प्रेस नोट में कहा, तीन सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा निर्णय को अधिसूचित किया गया था। चुनाव आयोग द्वारा खर्च की सीमा 10% बढ़ाने के बाद 2020 में पैनल का गठन किया गया था। हालांकि, उम्मीदवारों के खर्च की सीमा में आखिरी बड़ा संशोधन 2014 में किया गया था।
चुनाव आयोग ने कहा, समिति ने राजनीतिक दलों, मुख्य चुनाव अधिकारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों से सुझाव मांगे थे। समिति ने पाया कि 2014 के बाद से मतदाताओं की संख्या और लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में काफी वृद्धि हुई है। इसने चुनाव प्रचार के बदलते तौर-तरीकों पर भी ध्यान दिया, जो धीरे-धीरे आभासी अभियान में बदल रहा है।
आयोग ने नोट में लिखा है, तीन सदस्यीय समिति ने विचार किया कि मतदाताओं की संख्या 2014 में 83.4 करोड़ से बढ़कर 2021 में 93.6 करोड़ हो गई थी। इस बीच, लागत मुद्रास्फीति सूचकांक 32.08% 2014 में 240 से बढ़कर 2021 में 317 हो गया था।