Beed Lok Sabha seat: मराठा आरक्षण, बीड-अहमदनगर रेलवे लाइन और धनगर समुदाय प्रमुख मसले, पंकजा मुंडे के सामने बजरंग सोनावणे, जानें समीकरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 4, 2024 13:08 IST2024-05-04T13:07:09+5:302024-05-04T13:08:48+5:30
Beed Lok Sabha seat: पिता और भाजपा के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे ने 2009 और 2014 में इस सीट से जीत हासिल की थी।

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Beed Lok Sabha seat:मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले, बीड-अहमदनगर रेलवे लाइन की धीमी प्रगति और धनगर समुदाय के लिए आरक्षण महाराष्ट्र के बीड लोकसभा क्षेत्र में प्रमुख मुद्दे हैं। इस सीट पर 13 मई को मतदान होना है। मध्य महाराष्ट्र का यह जिला पिछले साल उस समय खबरों में था जब मराठा आरक्षण आंदोलन ने यहां हिंसक रूप ले लिया था। मराठा समुदाय के लोग नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान कुछ नेताओं के घरों पर हमले भी हुए थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट से राज्य की पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया है। पिछले 15 वर्षों में, वह मुंडे परिवार की तीसरी सदस्य हैं जो यहां से चुनाव मैदान में हैं।
उनके पिता और भाजपा के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे ने 2009 और 2014 में इस सीट से जीत हासिल की थी। वहीं उनकी छोटी बहन प्रीतम मुंडे ने अपने पिता की मृत्यु के बाद इस सीट के लिए हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर जीत हासिल की। इस बार भाजपा ने प्रीतम मुंडे का टिकट काटकर पंकजा मुंडे को चुनाव मैदान में उतारा है।
उनका मुख्य मुकाबला राकांपा (शरद पवार) के बजरंग सोनावणे से है। वरिष्ठ पत्रकार दत्ता देशमुख ने कहा, "मराठा आरक्षण आंदोलन और इस अवधि के दौरान दर्ज किए गए लगभग 200 मामले इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा हैं। प्रीतम मुंडे को बदलकर पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया जाना भी एक मुद्दा है क्योंकि वह इस सीट से दो बार अच्छे अंतर से जीत चुकी थीं।’’
उन्होंने कहा कि उद्योग और नौकरियों की कमी और धनगर समुदाय की आरक्षण की मांग भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। धनगर समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है। एक अन्य पत्रकार बालाजी मारगुडे ने कहा कि बीड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में जातिगत समीकरण भी मायने रखते हैं।
उन्होंने कहा, "यहां स्कूल जाने वाले बच्चे भी जाति के बारे में बात करते हैं।" उन्होंने कहा कि विकास के मुद्दों पर शायद ही कभी चर्चा होती हो। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण जाति के मुद्दे पर ज्यादा जोर है।