इंदौर में नाबालिग छात्रा के लैंगिक उत्पीड़न मामले में चूड़ी विक्रेता की जमानत अर्जी खारिज
By भाषा | Published: September 1, 2021 08:40 PM2021-09-01T20:40:00+5:302021-09-01T20:40:00+5:30
मध्यप्रदेश के इंदौर की जिला अदालत ने 13 वर्षीय स्कूली छात्रा के कथित लैंगिक उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेजों की जालसाजी के आरोपों का सामना कर रहे एक चूड़ी विक्रेता को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है। अभियोजन विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) पावस श्रीवास्तव ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली (25) की जमानत अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी। अधिकारी ने बताया कि मूलतः उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले अली को कक्षा छह में पढ़ने वाली छात्रा के कथित लैंगिक उत्पीड़न तथा अन्य आरोपों में गिरफ्तारी के बाद 25 अगस्त को अदालत में पेश किया गया था जहां से उसे न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया था। स्कूली छात्रा की शिकायत पर अली की गिरफ्तारी से पहले, सामाजिक और सियासी गलियारों में उस वीडियो को लेकर खूब बवाल मचा था जिसमें इंदौर के गोविंद नगर में 22 अगस्त को जुटी भीड़ में शामिल लोग इस चूड़़ी विक्रेता को पीटते दिखाई दे रहे हैं, जबकि वह उनसे छोड़ देने का आग्रह कर रहा है। घटना के दूसरे वीडियो में चूड़ी विक्रेता को पीट रहा एक व्यक्ति उस पर महिलाओं के छेड़-छाड़ का आरोप लगाते हुए मौके पर मौजूद अन्य लोगों को उसकी पिटाई करने के लिए कथित तौर पर उकसा रहा है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल चार लोगों को चूड़ी विक्रेता से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि पिटाई के घटनाक्रम के बाद नाबालिग स्कूली छात्रा ने अली के खिलाफ 23 अगस्त को इंदौर के बाणगंगा थाने में इस आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि वह अपना नाम "गोलू पिता मोहनसिंह" बताकर चूड़ियां बेचने उसके घर आया और उसने उसे "बहुत सुंदर" बताते हुए बुरी नीयत से उसके शरीर को छुआ था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अली द्वारा जल्दबाजी में छोड़ दी गई थैली से दो आधार कार्ड मिले और इनमें से एक में इसके धारक के नाम के रूप में "असलीम पिता मोरसिंह" छपा है, जबकि दूसरे आधार कार्ड में "तस्लीम पिता मोहर अली" अंकित है।उन्होंने बताया कि चूड़ी विक्रेता के सामान में जला हुआ मतदाता परिचय पत्र भी मिला जिस पर धारक का नाम स्पष्ट नहीं है, लेकिन धारक के पिता के कॉलम में "मोहन सिंह" छपा दिखाई दे रहा है।
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