(स्थान के नाम में सुधार के साथ)
कोलकाता, 10 फरवरी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत ने वर्ष 2014 में हुए खागड़ागढ़ विस्फोट मामले के मुख्य आरोपियों में से एक बांग्लादेशी नागरिक को भारत के साथ गठबंधन करने वाली किसी भी एशियाई शक्ति के खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए बुधवार को कुल 29 साल कैद की सजा सुनाई।
विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश सुभेंदु सामंत ने शेख कौसर को पांच मामलों में पांच-पांच साल की सजा और दो मामलों दो-दो साल की सजा सुनाई जो क्रमानुगत आधार पर चलेंगी।
न्यायाधीश ने अदालत के समक्ष अपराध स्वीकार करने वाले कौसर पर कुल 29 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
एनआईए के वकील श्यामल घोष ने बताया कि कौसर को भारत सरकार के साथ गठबंधन करने वाले किसी भी एशियाई देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (संक्षेप में यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत, विदेशी अधिनियम एवं आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया गया है।
उन्होंने बताया कि दो अक्टूबर 2014 को हुए धमाके का संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से होने का पता चला था।
पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान जिले के खागड़ागढ़ इलाके स्थित किराए के एक मकान में उस समय धमाका हो गया था जब बम एवं विस्फोटक उपकरण बनाए जा रहे थे। इस धमाके में दो संदिग्ध आतंकवादियों की मौत हो गई थी जबकि तीसरा घायल हुआ था।
कौसर को मिली सजा के साथ मामले के 33 आरोपियों में से 31 दोषी करार दिए जा चुके हैं जबकि दो आरोपी अब भी फरार हैं।
एनआईए ने मामले में प्राथमिक आरोप पत्र मार्च 2015 में दाखिल किया था। एजेंसी ने कहा था कि बांग्लादेश में प्रतिबंधित जेएमबी की साजिश वहां की चुनी हुई मौजूदा सरकार को हिंसा के जरिये सत्ता से बेदखल करने की है।
इस मामले की शुरुआती जांच राज्य सीआईडी ने की थी लेकिन कुछ दिनों के बाद ही मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई।
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