भाजपा के विजय रथ पर लगाम, ममता की जीत से क्षेत्रीय दलों का उज्जवल भविष्य
By भाषा | Published: May 2, 2021 09:44 PM2021-05-02T21:44:38+5:302021-05-02T22:34:10+5:30
कोविड-19 संकट से निपटने को लेकर विपक्ष की आलोचना झेल रही भाजपा की पश्चिम बंगाल में बुरी तरह हार हुई है और ऐसे में उसके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं बचा है।
देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद एक ओर जहां भाजपा का विजय रथ रुक गया है वहीं, उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस का पांव लगभग हर जगह से उखड़ रहा है। इसी बीच पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की अभूतपूर्व जीत के बाद राजनीतिक पंडितों को लग रहा है कि एक बार फिर क्षेत्रीय दल और नेता राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनकर उभरेंगे।
भाजपा सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा - कांग्रेस गठबंधन का टूटना, बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण, मतदान प्रतिशत में कमी, खास तौर से कोविड-19 के कारण अंतिम कुछ चरणों में मतदान की कमी आदि ने राज्य में पार्टी की हार में मुख्य भूमिका निभाई है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष का हालांकि कहना है कि तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है, वहीं पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन का श्रेय ममता बनर्जी को दिया है।
विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी के कारण जीती है। ऐसा लगता है कि जनता ने दीदी को चुना है। हम अत्मविश्लेषण करेंगे कहां गलती हुई है, क्या यह संगठन का मुद्दा था, या चेहरे की कमी या भीतरी-बाहरी का विवाद। हम देखेंगे कि कहां गलती हुई है।’’
जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के एक एसोसिएट प्रोफेसर मणिन्द्र नाथ ठाकुर का कहना है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम बनर्जी के साथ नए गठजोड़ को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने बनर्जी को इंदिरा गांधी के बाद सबसे मजबूत महिला नेता बताया।
यह रेखांकित करते हुए कि बंगाल के बाहर भी बनर्जी की पार्टी का संगठन है उन्होंने कहा कि गठबंधन की राजनीति के दूसरे चरण में संभवत: क्षेत्रीय दल / क्षत्रप मुख्य भूमिका में होंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिन राज्यों में मजबूत है, उसकी भूमिका वहां बनी रहेगी। राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों/क्षत्रपों का काफी दबदबा था जो 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनने के बाद लगभग धराशायी हो गया था।
वहीं भाजपा के एक अन्य नेता का कहना है कि हार के बावजूद पार्टी बनर्जी के लिए एक इकलौती चुनौती बनकर सामने आयी है।उन्होंने कहा, ‘‘तीन सीटों (2016) से अब हमारे पास करीब 90 विधायक हैं। विश्लेषकों को जो लिखना होगा, वही लिखेंगे, लेकिन भाजपा अब तृणमूल कांग्रेस का विकल्प बनकर सामने हैं, और कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था।