अखिलेश और मायावती की साझा प्रेस कांफ्रेंस आज, हो सकता है गठबंधन का ऐलान
By स्वाति सिंह | Published: January 12, 2019 08:41 AM2019-01-12T08:41:27+5:302019-01-12T08:41:27+5:30
इस प्रेस कांफ्रेंस में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीटों की घोषणा हो सकती है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती शनिवार दोपहर 12 बजे साझा प्रेस कांफ्रेंस संबोधित करेंगे। माना जा रहा है इस प्रेस कांफ्रेंस में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीटों की घोषणा हो सकती है।
अगर ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। हाल में ऐसे कई सर्वे सामने आये हैं जिसमें ये दावा किया गया है कि अगर सपा और बसपा का गठबंधन होता है तो बीजेपी को राज्य में जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में इस प्रेस कांफ्रेंस पर सभी राजनीतिक दलों की नजरें टिक गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया जा सकता है। इसके अलावा सीट बंटवारे की घोषणा भी हो सकती है।
फिलहाल इस गठबंधन में कांग्रेस पार्टी के शामिल होने की कोई सुगबुगाहट नहीं है। सपा-बसपा के साथ आने से चुनावी समीकरण बीजेपी के खिलाफ हो जाते हैं। इसकी बानगी फूलपुर, गोरखपुर और कैराना लोकसभा के उपचुनाव में देखने को मिली थी।
अखिलेश और मायावती लगातार इस बात की ओर इशारा करते रहे हैं कि उनका गठबंधन बीजेपी को हराने के लिए है। ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर छोटा-मोटा विवाद आसानी सुलझाने के आसार हैं। कांग्रेस अगर इस चुनाव पूर्व गठबंधन से बाहर रहती है तो भी इसका नुकसान बीजेपी को ही उठाना पड़ सकता है।
इसके पहले ही मीडिया में हो रही चर्चा के अनुसार सपा और बसपा दोनों बराबर 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। अमेठी और रायबरेली में दोनों पार्टियां उम्मीदवार नहीं उतारेंगी। अमेठी और रायबरेली में दोनों पार्टियां उम्मीदवार नहीं उतारेंगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पार्टियां अपना दल के खिलाफ भी उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी को हारने के लिए वो 2 कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं।
सपा और बसपा ने इस गठबंधन में कांग्रेस को नहीं शामिल किया है। कांग्रेस का आरएलडी के साथ गठबंधन हो सकता है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के हाशिये पर होने के कारण सपा-बसपा गठबंधन ने उन्हें दूर रखना ही ठीक समझा।