बाहुबली नेता आनंद मोहन की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब
By एस पी सिन्हा | Updated: May 8, 2023 17:48 IST2023-05-08T17:48:10+5:302023-05-08T17:48:10+5:30
सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पूरे मामले पर जवाब मांगा है। इसके लिए 2 हफ्ते का समय दिया है।

बाहुबली नेता आनंद मोहन की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब
पटना: आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्याकांड में सजा काट कर जेल से रिहा किए गए बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पूरे मामले पर जवाब मांगा है। इसके लिए 2 हफ्ते का समय दिया है। बिहार सरकार से रिहाई से जुड़ा रिकॉर्ड देने को भी कहा है।
न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश जेके माहेश्वरी की बेंच ने सुनवाई करते हुए काउंटर एफिडेविट देने को कहा है। साथ ही आनंद मोहन को भी नोटिस सर्व करने का आदेश दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2 हफ्ते बाद इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई की जाएगी।
आनंद मोहन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जी. कृष्णैय्या की पत्नी उमा देवी ने याचिका दायर की है। उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार द्वारा कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया है। उनका कहना है कि जब आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई तो उनकी रिहाई 15 साल में कैसे हो गई? कोर्ट से अपील है कि वह मामले पर गंभीरता से विचार करे।
आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन को जेल के नियमों में संशोधन कर 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था। बिहार सरकार के इस फैसले को कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार समेत अन्य को नोटिस जारी किया है। कोर्ट की इस कार्रवाई का कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने स्वागत किया है।
उन्होंने कहा है कि हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हमें सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलेगा, क्योंकि मैं अकेली नहीं हूं, पूरा देश मेरे साथ है। सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके फैसले को वापस लेने का आदेश देगा।
बता दें कि जब आनंद मोहन की रिहाई हुई थी, तब उमा कृष्णैया ने कहा था कि ये वोटबैंक की राजनीति है। बिहार सरकार ने राजपूत वोटों के लिए आनंद मोहन की रिहाई की है। पूर्व सांसद आनंद मोहन को 5 दिसंबर 1994 को हुई डीएम कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या आरोपी बनाया गया। लंबे समय तक मुकदमा चला।
इसके बाद साल 2007 में आनंद मोहन को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तब से वे बिहार की सहरसा जेल में सजा काट रहे थे। हाल ही में नीतीश सरकार ने जेल के नियमों में संशोधन कर 27 कैदियों को रिहा किया, जिनमें आनंद मोहन भी शामिल थे। आनंद मोहन की रिहाई पर खूब सियासी बवाल मचा, लेकिन इस पर आनंद मोहन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई।