कश्मीर में टूट रही है आतंकियों का कमर, वारदातों के साथ सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में भी कमी आई

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 30, 2023 03:52 PM2023-07-30T15:52:02+5:302023-07-30T15:53:03+5:30

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में कहा कि इस साल जून के अंत तक जम्मू कश्मीर में एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पार से कोई घुसपैठ नहीं हुई है और अपनाए गए दृष्टिकोण के कारण घुसपैठ में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

back of terrorists is breaking in Kashmir along with incidents encounters with security forces also decreased | कश्मीर में टूट रही है आतंकियों का कमर, वारदातों के साथ सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में भी कमी आई

कश्मीर में तैनात सुरक्षाधिकारियों का दावा- आतंक की कमर टूट रही है

Highlightsकश्मीर में तैनात सुरक्षाधिकारियों का दावा- आतंक की कमर टूट रही हैसुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ों में भी कमी आई1990 के बाद से सुरक्षा के मोर्चे पर कश्मीर सबसे शांतिपूर्ण है

जम्मू:  कश्मीर में तैनात सुरक्षाधिकारियों का दावा है कि जम्मू कश्मीर में पिछले वर्षों की तुलना में 2023 में आतंकवाद में स्थानीय लोगों की भर्ती और आतंकवादियों की मौतों, दोनों में काफी गिरावट आई है। वे बताते हैं कि इस साल 1 जनवरी से 25 जुलाई तक सुरक्षा बलों के विभिन्न अभियानों में जहां 35 आतंकवादी मारे गए, वहीं पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 120 से अधिक थी। 2022 में सुरक्षा बलों ने 56 विदेशियों सहित 186 आतंकवादियों को मार गिराया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष घुसपैठ के कई प्रयासों को विफल कर दिया गया है और इस वर्ष 12 से अधिक स्थानीय लोग आतंकवाद में शामिल नहीं हुए हैं। वे कहते थे कि इससे सक्रिय आतंकवादियों की संख्या घटकर दोहरे अंक में आ गई है।उन्होंने कहा कि कम घुसपैठ और आतंकवाद में स्थानीय लोगों की भर्ती में गिरावट के कारण सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ों में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि बाकी आतंकवादी भाग रहे हैं और आमतौर पर घाटी के ऊपरी इलाकों में छिपे हुए हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि वे (आतंकवादी) सुरक्षा बलों पर कोई भी बड़ा हमला करने की शक्ति खो चुके हैं और कभी-कभी खबरों में बने रहने के लिए वे गैर-स्थानीय मजदूरों या कश्मीरी पंडितों जैसे आसान नागरिक लक्ष्य चुनते हैं। उनके मुताबिक, 1990 के बाद से सुरक्षा के मोर्चे पर कश्मीर सबसे शांतिपूर्ण है।

हालांकि सूत्रों ने कहा कि अधिकांश आतंकवादी संगठनों का ओवर-ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) नेटवर्क बिखर गया है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उनके पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ लगातार अभियानों के मद्देनजर उनके लिए फिर से संगठित होना मुश्किल हो गया है। अधिकारी कहते थे कि यह ओजीडब्ल्यू नेटवर्क थे जो आतंकवादी गतिविधियों में सहायता कर रहे थे। चूंकि आतंकी फंडिंग के खिलाफ विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, सुरक्षा ग्रिड ने घाटी में अपना अधिकार स्थापित कर लिया है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो अगले साल तक कश्मीर आतंकवाद के चंगुल से मुक्त हो जाएगा।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में कहा कि इस साल जून के अंत तक जम्मू कश्मीर में एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पार से कोई घुसपैठ नहीं हुई है और अपनाए गए दृष्टिकोण के कारण घुसपैठ में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

Web Title: back of terrorists is breaking in Kashmir along with incidents encounters with security forces also decreased

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