अयोध्या मामला: फैसले की उल्टी गिनती शुरू, 10 दिन में इन 4 बड़े मामलों पर फैसला सुना सकते हैं CJI रंजन गोगोई
By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 7, 2019 12:57 PM2019-11-07T12:57:11+5:302019-11-07T13:01:55+5:30
CJI Ranjan Gogoi: 17 नवंबर को रिटायर हो रहे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अयोध्या मामले समेत 4 बड़े फैसले सुना सकते हैं
17 नवंबर को रिटायर हो रहे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अगले कुछ दिनों में कई अहम मामलों पर फैसला सुना सकते हैं। चीफ जस्टिस अपने रिटायरमेंट से पहले अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद, राफेल डील, सबरीमाला और आरटीआई जैसे कई कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुना सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस गोगोई ने अपने उत्तराधिकारी जस्टिस एसए बोबडे को इन अहम मामलों की लिस्टिंग सौंप दी है, जिनकी तत्काल सुनवाई की जानी है। इससे अयोध्या समेत इन बेहद अहम मामले पर जल्द फैसला आने की उम्मीद बढ़ गई है। खास बात ये है कि गोगोई के रिटायरमेंट से पहले अब कोर्ट के महज पांच कार्यदिवस ही बचे हैं।
आइए जानें उन महत्वपूर्ण मामलों की लिस्ट जिन पर गोगोई अपने रिटायरमेंट से फैसला सुना सकते हैं।
1.अयोध्या मामला
लंबे समय से विवादों में रहा रामजन्मभूमि विवाद पर अब जल्द फैसला आने की प्रबल संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर को पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इस मामले पर 17 नवंबर से पहले कभी भी फैसला आ सकता है।
2.सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का मामला:
सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटाने के अपने फैसले पर दाखिल की गईं पुनर्विचार याचिकाओं पर भी फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को लिंगभेद बताते हुए निरस्त कर दिया था।
3.राफेल डील पर पुनर्विचार
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में राफेल डील में हुई आपराधिक जांच की याचिका खारिज करते हुए सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि इस फैसले पर कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं। कोर्ट ने मई पर इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब गोगोई रिटायरमेंट से पहले इस पर भी फैसला सुना सकते हैं।
4.चीफ जस्टिस आरटीआई के दायरे में हैं या नहीं?
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ उस याचिका पर भी फैसला सुना सकती है कि चीफ जस्टिस का कार्याल आरटीआई जांच के दायरे में आता है नहीं। 2010 में आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि चीफ जस्टिस का कार्यालय भी आरटीआई के दायरे में आता है। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने याचिका दाखिल की थी।