Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, गणतंत्र दिवस को लेकर 21-26 जनवरी तक लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में धारा 144 लागू, देखें गाइ़डलाइन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: January 20, 2024 18:11 IST2024-01-20T18:00:25+5:302024-01-20T18:11:49+5:30
Ayodhya Ram Mandir: उत्तर प्रदेश पुलिस ने शांतिपूर्ण माहौल को चिह्नित करने के लिए लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सीआरपीसी अधिनियम की धारा 144 लागू कर दी है।

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Ayodhya Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हो रहा है। राम मंदिर, गणतंत्र दिवस के मद्देनजर 21-26 जनवरी तक लखनऊ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में धारा 144 लागू किया गया है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड के साथ समारोह का जश्न रहेगा।
Uttar Pradesh | In view of the Ram Mandir Pran Pratistha ceremony on January 22, Republic Day and upcoming festivals, Upendra Kumar Agarwal , Joint Commissioner of Police, Law and Order, Lucknow issues prohibitory order using the powers granted under Section 144 CrPC. pic.twitter.com/mNN6k86J7O
— ANI (@ANI) January 20, 2024
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि धारा 144 सीआरपीसी के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए निषेधाज्ञा जारी की है। गौतम बौद्ध नगर पुलिस ने शनिवार को कहा कि 21 से 26 जनवरी तक पूरे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू किया जाएगा।
एएनआई के मुताबिक, लखनऊ में भी इसी तरह के आदेश जारी किए गए हैं। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह और 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया है।
अतिरिक्त डीसीपी (कानून एवं व्यवस्था) हृदेश कठेरिया द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, प्रतिबंधों में पांच या अधिक लोगों की गैरकानूनी सभा, अनधिकृत जुलूस और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध शामिल है, जो 21 से 26 जनवरी (छह दिन) तक लागू रहेगा। कठेरिया ने कहा कि श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का सीधा प्रसारण 22 जनवरी को दिवाली कार्यक्रम के साथ निर्धारित है।
फिर 25 जनवरी को स्वर्गीय हसरत अली की जयंती और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह मनाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, 'इन सबके साथ-साथ समय-समय पर विभिन्न संगठनों और किसानों द्वारा कुछ विरोध और प्रदर्शन भी प्रस्तावित किए जाते हैं।' परिणामस्वरूप, असामाजिक ताकतों द्वारा शांति भंग करने की संभावना को पूरी तरह से खारिज करना असंभव है।