राम जन्मभूमिः न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं? जस्टिस नजीर ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा नहीं

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 26, 2019 05:46 PM2019-09-26T17:46:39+5:302019-09-27T12:41:22+5:30

अयोध्या भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2003 की रिपोर्ट के लेखकीय दावे पर सवाल करने को लेकर बृहस्पतिवार को यू-टर्न लिया और मामले में उच्चतम न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए उससे माफी मांगी।

Ayodhya Land Dispute: Justice Bobde asked whether mosques also have lotus signs? Justice Nazir said that to my knowledge this is not so | राम जन्मभूमिः न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं? जस्टिस नजीर ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा नहीं

धवन ने कहा, ‘‘यह उम्मीद नहीं की जाती है कि हर पृष्ठ पर हस्ताक्षर हों।

Highlightsजस्टिस बोबड़े ने अपने साथ बेंच में बैठे जज जस्टिस नजीर से इसका जवाब जानना चाहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं।गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि वे एएसआई रिपोर्ट के सारांश के लेखकीय दावे पर सवाल नहीं उठाना चाहते।

अयोध्या भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई जारी है। इस बीच गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 18 अक्टूबर के बाद कोई अतिरिक्त दिन नहीं दिया जाएगा। यदि हम इस मामले में चार सप्ताह में फैसला सुना देते हैं तो यह अद्भुत होगा। 

पीठ ने हिंदू एवं मुस्लिम पक्षकारों से कहा कि वे दलीलें पूरी होने की समयसीमा बताएं और 18 अक्टूबर के बाद एक भी अतिरिक्त दिन नहीं दिया जाएगा। न्यायालय ने मुस्लिम पक्षकारों से कहा कि वे एएसआई रिपोर्ट पर अपनी दलीलें दिन में ही पूरी करें। उसने कहा कि अक्टूबर में छुट्टियां हैं और चार हिंदू पक्षकारों के केवल एक वकील को प्रत्युत्तर दलीलें देने की अनुमति दी जाएगी।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।इस बीच सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़ ने कहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं?

इस पर वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कुछ नहीं कहा। इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने अपने साथ बेंच में बैठे जज जस्टिस नजीर से इसका जवाब जानना चाहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं।जस्टिस नजीर ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा नहीं है। मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कमल के चित्र को हिंदू, मुस्लिम, बुद्ध सभी इस्तेमाल करते रहे है। इसका इस्तेमाल मुस्लिम और इस्लामिक आर्किटेक्ट में होता रहा है।

अयोध्या भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2003 की रिपोर्ट के लेखकीय दावे पर सवाल करने को लेकर बृहस्पतिवार को यू-टर्न लिया और मामले में उच्चतम न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए उससे माफी मांगी।

मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि वे एएसआई रिपोर्ट के सारांश के लेखकीय दावे पर सवाल नहीं उठाना चाहते। धवन ने कहा, ‘‘यह उम्मीद नहीं की जाती है कि हर पृष्ठ पर हस्ताक्षर हों। रिपोर्ट के लेखकीय दावे और सारांश पर सवाल उठाने की आवश्यकता नहीं है। यदि हमने न्यायालय का समय बर्बाद किया है तो हम इसके लिए माफी मांगते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिस रिपोर्ट की बात की जा रही है, उसका एक लेखक है और हम लेखन पर सवाल नहीं उठा रहे हैं।’’ मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने बुधवार को एएसआई की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हर अध्याय एक लेखक ने लिखा है लेकिन सारांश में किसी का जिक्र नहीं है। पीठ ने कहा कि धवन ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा है कि उन्होंने रिपोर्ट पर सवाल करने का अपना अधिकार छोड़ा नहीं है लेकिन न्यायालय द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद सबूतों पर संदेह नहीं किया जा सकता।

 

 

Web Title: Ayodhya Land Dispute: Justice Bobde asked whether mosques also have lotus signs? Justice Nazir said that to my knowledge this is not so

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे