अयोध्या फैसला: केंद्र ने उत्तर प्रदेश में अर्द्धसैनिक बल भेजे, RPF ने चौकसी बढ़ाई

By भाषा | Published: November 8, 2019 05:27 AM2019-11-08T05:27:42+5:302019-11-08T05:27:42+5:30

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले शीर्ष न्यायालय के अपना फैसला सुनाने की संभावना है।

Ayodhya Decision: Center sends paramilitary forces in UP, RPF increases alert | अयोध्या फैसला: केंद्र ने उत्तर प्रदेश में अर्द्धसैनिक बल भेजे, RPF ने चौकसी बढ़ाई

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsअयोध्या मामले में अगले सप्ताह उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने से पहले सुरक्षा तैयारियों के तहत केंद्र ने अर्द्धसैनिक बलों के करीब 4,000 जवानों को उत्तर प्रदेश भेजा है।साथ ही रेलवे पुलिस ने अपने कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और 78 बड़े स्टेशनों तथा ट्रेनों में चौकसी बढ़ा दी है।

अयोध्या मामले में अगले सप्ताह उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने से पहले सुरक्षा तैयारियों के तहत केंद्र ने अर्द्धसैनिक बलों के करीब 4,000 जवानों को उत्तर प्रदेश भेजा है। साथ ही रेलवे पुलिस ने अपने कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और 78 बड़े स्टेशनों तथा ट्रेनों में चौकसी बढ़ा दी है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक आम परामर्श जारी किया गया है, जिसमें उन्हें सभी संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात करने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि नेता लोगों से भड़काऊ टिप्पणी नहीं करने या अफवाह नहीं फैलाने की एक बार फिर से अपील करें।

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी मंत्रिपरिषद के साथ अयोध्या मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने अपने मंत्रियों से इस विषय पर अनावश्यक बयान देने से बचने और देश में सौहार्द कायम रखने को कहा था। दरअसल, राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले शीर्ष न्यायालय के अपना फैसला सुनाने की संभावना है।

न्यायमूर्ति गोगोई उस पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं, जिसने कई हफ्तों तक मामले की सुनवाई की। इस बीच, सदभावना उपायों के तहत पुलिस ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के लोगों के बीच बैठकें कराई। साथ ही, दोनों समुदायों के लोगों से शांति कायम रखने की अपील की गई। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने कहा, ‘‘ये सभी लोग फैसले का पालन एवं सम्मान करने के लिये सहमत हुए।’’

दिल्ली में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने खासतौर पर अयोध्या में कानून व्यवस्था कायम रखने में उप्र सरकार की मदद के लिये अर्द्धसैनिक बलों की 40 कंपनियां राज्य में भेजी हैं। एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं। वहीं, अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अगले सप्ताह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है और स्थानीय प्रशासन शांति सुनिश्चित करने के लिये कमर कस रहा है।

लाखों श्रद्धालुओं के 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के अवसर पर अयोध्या आने की संभावना है। यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायालय के फैसले के मद्देनजर अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या धीरे-धीरे कम की जाएगी, इस पर फैजाबाद के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘नहीं, श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन के लिए अयोध्या आते रहेंगे।’’

सरयू कुंज सीता राम मंदिर के पुजारी महंत जुगल किशोर शरण शास्त्री ने कहा, ‘‘जो श्रद्धालु पूर्णिमा स्नान के लिए अयोध्या आएंगे वे कुछ दिन यहां ठहरेंगे, इसलिए 20 नवंबर तक अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी मौजूदगी रहेगी।’’

सूचना उपनिदेशक (फैजाबाद) मुरली धर सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन ने एलईडी वैन ऑपरेटरों को अयोध्या में श्रद्धालुओं के लिए लगातार रामायण और महाभारत टेलीविजन धारावाहिक प्रसारित करने के निर्देश दिए हैं।

रेलवे पुलिस ने सुरक्षा तैयारियों पर अपने सभी मंडलों के लिए निर्देश वाला सात पृष्ठों का परामर्श जारी किया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के परामर्श में जानकारी दी गई है कि उसके सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है। उन्हें ट्रेनों की सुरक्षा में तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि परामर्श में प्लेटफॉर्म्स, रेलवे स्टेशनों, यार्ड, पार्किंग स्थल, पुलों और सुरंगों के साथ-साथ उत्पादन इकाइयों और कार्यशालाओं में सुरक्षा जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है।

परामर्श में उन स्थानों की पहचान की गई है जो किसी भी तरह की हिंसा के लिहाज से संवेदनशील हो सकते हैं या जिनका विस्फोटकों को छिपाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आरपीएफ कर्मी सभी ट्रेनों में तैनात रहेंगे और उन्हें आधुनिक उपकरण दिए जांएगे। खोजी कुत्तों की मदद ली जाएगी और गहन सुरक्षा जांच की जाएगी। रेल पटरियों, पुलों और सुरंगों पर सभी संवदेनशील स्थानों पर गश्त दी जाएगी।

आरपीएफ के परामर्श में कहा गया है कि रेलवे स्टेशनों के समीप और उसके दायरे में आने वाले धार्मिक ढांचों पर करीब से नजर रखी जाए क्योंकि वहां हिंसा ‘‘भड़कने की ज्यादा आशंका’’ है। इसमें ऐसे ढांचों की देखभाल करने वाले लोगों को उन्हें बिना सुरक्षा के न छोड़ने का निर्देश भी दिया गया है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के स्टेशनों समेत करीब 78 बड़े स्टेशनों की पहचान की गयी है जहां अधिक संख्या में यात्री आते हैं और यहां आरपीएफ कर्मियों की मौजूदगी बढ़ायी गयी है।

परामर्श में पूर्व के उस आदेश को भी रद्द किया गया है जिसमें स्टेशनों को वहां कोई ट्रेन न होने पर बिजली बचाने के लिए करीब 30 प्रतिशत रोशनी कम रखने की अनुमति दी गयी थी। परामर्श में सभी मंडलों को हर वक्त 100 फीसदी रोशनी रखने का निर्देश दिया गया है। परामर्श में कहा गया है कि अगर रेलवे परिसरों पर भीड़ देखी जाती है तो त्वरित कार्रवाई बल मौजूद रहें, प्रवेश तथा निकासी द्वारों को सील कर दिया जाए। साथ ही सीसीटीवी कैमरों से परिसरों की निगरानी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसमें मंडलों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इस दौरान वीवीआईपी या सैन्य आवाजाही के बारे में कोई सूचना लीक न हो।

अन्य स्टेशनों पर भी आरपीएफ कर्मियों की संख्या बढ़ गयी है। सभी मंडलों को बैग की जांच करने वाले उपकरणों, सीसीटीवी कैमरों की मरम्मत कराने और लॉबियों तथा प्रतीक्षा क्षेत्रों जैसे भीड़भाड़ वाले हिस्सों पर लगातार नजर रखने के लिए भी कहा गया है।

सूत्रों ने बताया कि रेलवे मंडलों से यह भी कहा गया है कि वह सुनिश्चित करें कि मालगाड़ियों के सभी खाली पड़े डिब्बे बंद हों क्योंकि असमाजिक तत्व छिपने के स्थान के तौर पर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस बीच, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘न्यायपालिका का फैसला सर्वोपरि है। मैं लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे उकसाने वाली किसी गतिविधि में संलिप्त नहीं हों और सामाजिक सौहार्द में खलल नहीं पड़े।’’

उधर, विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये पत्थर तराशने का काम 1990 से पहली बार रोका है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि सभी कारीगर अपने-अपने घर लौट गये हैं। उन्होंने कहा कि पत्थर तराशने का काम रोकने का फैसला विहिप के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिया गया।

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