विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी की जीत ममता बनर्जी और मायावती को चेतावनी है!

By विकास कुमार | Updated: December 18, 2018 17:07 IST2018-12-18T15:45:25+5:302018-12-18T17:07:54+5:30

ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी के नेतृत्व से केवल मायावती और ममता बनर्जी ही असहज थे। तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि महागठबंधन का नेता लोकसभा चुनाव के बाद ही तय किया जायेगा।

Assembly elections : Rahul Gandhi victory in three states warning for Mamata Banerjee and Mayawati | विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी की जीत ममता बनर्जी और मायावती को चेतावनी है!

विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी की जीत ममता बनर्जी और मायावती को चेतावनी है!

तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद राहुल गांधी का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है। उनके चेहरे पर जीत के आभा को महसूस किया जा सकता है। अब उनकी नजर लोकसभा चुनाव पर है, जिसके लिए उन्होंने तैयारियां भी शुरू कर दी है। मोदी सरकार पर पहले से ज्यादा धारदार तरीके से हमला कर रहे हैं। उन्होंने तय कर लिया है कि उनके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही रहने वाले हैं। भाजपा नेतृत्व को अपने नेतृत्व क्षमता से परिचय करवाने के बाद उन्होंने विपक्ष के उन नेताओं को भी ये संदेश दे दिया है कि महागठबंधन में सबसे बड़ी भूमिका कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की ही होने वाली है। विपक्ष के वो तमाम नेता जो महागठबंधन की आड़ में अपने राजनीतिक मंसूबों को पूरा करना चाहते थे, उनके लिए राहुल गांधी का इस तरह से उभर कर आना किसी झटके से कम नहीं है। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद भले ही नरेन्द्र मोदी पर तंज कसने का मौका नहीं गवाया हो, लेकिन इस जीत के सूत्रधार और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जीत का क्रेडिट देने के लिए उनके मुख से एक भी बयान नहीं फूटा। आखिर ममता बनर्जी क्यों राहुल गांधी की तारीफ करेंगी ? अभी कुछ समय पहले ही जब ममता बनर्जी से ये पुछा गया था कि क्या राहुल गांधी के नेतृत्व में महागठबंधन का खाका तैयार किया जायेगा, तो उन्होंने साफ लहजों में कह दिया था कि महागठबंधन में कोई भी नेता सुप्रीम नहीं हो सकता है। इसकी परिकल्पना ही इस तरह से की गई है। दरअसल उनका ये बयान राहुल गांधी को नेता के रूप में नहीं स्वीकारने भर ही नहीं था, उन्हें अपने राजनीतिक अरमानों की भी चिंता सता रही थी। 

एक अनार सौ बीमार 

विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस और बसपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खूब गर्मागर्मी हुई। और अंततः मायावती ने कांग्रेस पार्टी के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव पूर्व गठबंधन करने से मना कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करना चाहती है। और इस तरह से महागठबंधन की संभावनाओं पर राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के काले बादल मंडराने लगे थे। लेकिन चुनाव में कांग्रेस की एकतरफा जीत के कारण मायावती के लिए कुछ खास नहीं बचा। उनकी पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही, जबकि कांग्रेस की तरफ से किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं दिखाई गई थी। भले ही आज कांग्रेस देश के अधिकतम राज्यों से सिमट गई हो लेकिन उसके अंदाज में कोई कमी नहीं आई है। क्योंकि पार्टी का राजनीतिक अतीत उसे इस बात की गवाही नहीं देता कि मायावती और अखिलेश यादव के सामने राजनीतिक भिक्षा मांगा जाए। 

ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी के नेतृत्व से केवल मायावती और ममता बनर्जी ही असहज थे। तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि महागठबंधन का नेता लोकसभा चुनाव के बाद ही तय किया जायेगा। तेजस्वी के इस बयान का उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी समर्थन किया था। संदेश साफ है कि चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान महागठबंधन का हर नेता प्रधानमंत्री का उम्मीदवार है। उम्मीदवारी पर मुहर उसी की लगेगी जिसके ज्यादा राजनीतिक सैनिक लोकसभा पहुंचेंगे। क्योंकि हाल के हुए विधानसभा चुनाव से पहले परिस्थितियां कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के पक्ष में नहीं थी। लेकिन अब मौका भी है और दस्तूर भी है। और धीरे-धीरे ही सही लेकिन विपक्ष के तमाम नेताओं को ये समझ में आ गया है कि राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता को अब दरकिनार नहीं किया जा सकता है। 

बुआ और बबुआ की गैरमौजूदगी 

देश के राजनीतिक पार्टियों के लिए बात अब राजनीतिक अस्तित्व की है। उन्हें इसका अंदाजा हो गया होगा कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के कहर से उन्हें सिर्फ राहुल गांधी ही बचा सकते हैं। ऐसे उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें होने के कारण बुआ और बबुआ का ड्रीमवर्ल्ड अभी भी बरकरार है। क्योंकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में सभी पार्टियों के मौजूदगी के बावजूद इन दोनों की गैरमौजूदगी कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है। लेकिन इतना तो तय है कि इन चुनावों में जीत के बाद राहुल गांधी ने ममता, मायावती और उन तमाम नेताओं को ये स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उनके बिना महागठबंधन का नांव डूबना तय है, ये बात इन नेताओं को भी समझ लेनी चाहिए। 

English summary :
After winning the Vidhan Sabha Chunav 2018 in 3 states and forming the government, Congress chief Rahul Gandhi's is seen confident. The aura of victory can be felt on Rahul Gandhi's face. Now Congress and Rahul Gandhi is focusing on the Lok Sabha election 2019. They have started attacking Modi government in the center even more.


Web Title: Assembly elections : Rahul Gandhi victory in three states warning for Mamata Banerjee and Mayawati

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