चुनावी नतीजे आने के पहले ही खरीद-फरोख्त के डर से कांग्रेस ने शुरू किया 'मिशन एमएलए'
By शीलेष शर्मा | Updated: March 7, 2022 21:37 IST2022-03-07T21:35:13+5:302022-03-07T21:37:44+5:30
Assembly Elections 2022: राज्यों के प्रभारी और चुनाव पर्यवेक्षक आलाकमान के निर्देशानुसार इन प्रदेशों में मौजूद होंगे और तोड़-फोड़ की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए प्रयास करेंगे।

पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के पहले ही कांग्रेस को गोवा की घटना का डर सताने लगा है।
Assembly Elections 2022: कांग्रेस पंजाब, उत्तराखंड और गोवा के विधानसभा चुनावों के नतीजे में खंडित जनादेश की परिस्थिति में अपने नवनिर्वाचित विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरी तैयारी कर रही है। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के पहले ही कांग्रेस को गोवा की घटना का डर सताने लगा है।
जहाँ सबसे बड़े दल होने के बाबजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी, क्योंकि उसके विधायक खरीद फरोख्त के शिकार हो गये। कांग्रेस गोवा से सबक लेते हुए पहले से ही सावधान है। पार्टी ने अपने चुने हुए विधायकों को एकजुट रखने के लिए " मिशन एमएलए " शुरू किया है।
पार्टी सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार राहुल और प्रियंका गांधी ने वरिष्ठ नेताओं के दल गठित किये है तथा उनको अलग अलग राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस रणनीति को अंजाम देने के लिये जिन नेताओं को लगाया गया है उसमें भूपेश बघेल, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, चरणजीत सिंह चन्नी, जयराम रमेश, सुनील जाखड़, हरीश रावत, प्रीतम सिंह, पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, पी एल पुनिया जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं।
कांग्रेस को डर है कि 10 मार्च को नतीजा आते ही भाजपा कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों को तोड़ने के लिये खरीद फरोख्त के साथ साथ डर और प्रलोभन दे कर तोड़ने की कोशिश करेगी। यह भी संकेत मिले हैं कि ज़रूरत पड़ने पर पार्टी अपने विधायकों को भाजपा के माया जाल से बचाने के लिये उनको राजस्थान और महाराष्ट्र ले जा सकती है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि कोई कोर कसर रह जाए। गोवा में 2017 में जो हुआ, वो इस बार नहीं हो सकेगा क्योंकि हम पूरी तैयारी कर रहे हैं।’’ गोवा के पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी, लेकिन भाजपा कुछ स्थानीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल रही।